क्षेत्रीय
17-May-2025
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-आरोपियेा में उम्मीदवार, सॉल्वर और दलाल शामिल भोपाल(ईएमएस)। मध्यप्रदेश को देशभर में बदनाम करने वाला बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने एमपी पीएमटी-2009 परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले 11 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 3-3 साल के सश्रम कारावास सहित 16-16 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष की अदालत ने सुनवाई पूरी होने पर दिया है। जानकारी के मुताबिक यह मामला भोपाल के कोहेफिजा थाने में साल 2012 में दर्ज हुआ था। इसके बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी, जिसने साल 2015 में दो अभियोग पत्र पेश किए थे। सीबीआई के लोक अभियोजक से मिली जानकारी के मुताबिक 5 जुलाई 2009 को व्यापम द्वारा आयोजित एमपी पीएमटी परीक्षा में 5 छात्र विकास सिंह, कपिल परते, दिलीप चौहान, प्रवीण कुमार और रवि सोलंकी (अब मृतक) ने अपने स्थान पर दूसरों को परीक्षा दिलवाई थी। इन उम्मीदवारो की जगह नागेंद्र कुमार, अवधेश कुमार, रमेश कुमार, प्रीतेश सिंह और शिवकरण साहू परीक्षा में बैठे थे। फर्जीवाड़े में दलाल सत्येंद्र सिंह और ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की मुख्य भूमिका थी। जांच में पता चला कि पैसों के लेन-देन के जरिए फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाकर परीक्षा पास करवाई गई। और सभी फर्जी मुन्नाभाईयो का चयन एमपी पीएमटी-2009 में हो गया था। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ पेश किए गए दस्तावेजों, गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया। सजा पाने वालों में उम्मीदवार सहित उनके स्थान पर परीक्षा देने वाले सॉल्वर और दलाल सत्येंद्र सिंह शामिल हैं। हालांकि, साक्ष्य के अभाव में दलाल ज्ञानेंद्र त्रिपाठी को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। जुनेद / 17 मई