हेलसिंकी (ईएमएस)। यूरोप में स्थित देश फिनलैंड न केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की अनुशासित और जागरूक जनता ने इसे स्वच्छता की मिसाल भी बना दिया है। यहाँ लोग न सड़क पर कचरा फेंकते हैं और न ही सार्वजनिक स्थानों को गंदा करते हैं। साफ-सफाई सिर्फ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की प्राथमिकता है। फिनलैंड की हवा दुनिया में सबसे साफ मानी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यहाँ की हवा इतनी स्वच्छ है कि लोग सुबह पार्कों में दौड़ते हुए गहरी सांसें लेते हैं और प्रदूषण की चिंता किए बिना दिन की शुरुआत करते हैं। यहाँ न धूल का गुबार होता है और न ही फैक्ट्रियों या वाहनों का जहरीला धुआं। भारत जैसे देशों में जहां सांस लेना तक एक चुनौती बनता जा रहा है, वहीं फिनलैंड में सांस लेना खुद एक सुकून है। यहाँ का नल का पानी भी इतना शुद्ध है कि लोग इसे सीधे पी लेते हैं। मिनरल वाटर जैसी चीजें वहां आम जरूरत नहीं हैं। स्कूलों, दफ्तरों और रेलवे स्टेशनों में भी पानी इतना साफ होता है कि कोई भी बेझिझक पी सकता है। इससे न केवल पैसा बचता है, बल्कि प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग भी कम होता है। फिनलैंड की सड़कों की सफाई भी काबिल-ए-तारीफ है। यदि कोई गलती से कुछ गिरा भी दे, तो तुरंत उठा लेता है। यहाँ लोगों को यह समझाया जाता है कि सड़कें सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी हैं। राजधानी हेलसिंकी की गलियां किसी पार्क जैसी प्रतीत होती हैं बिना प्लास्टिक, थूक, या कीचड़ के। यहां कूड़ा फेंकने का भी एक सलीका है। घरों में ही कचरे को अलग-अलग डिब्बों में बांटकर डाला जाता है गीला, सूखा, प्लास्टिक, कागज, कांच आदि। फिर सरकार उस कचरे को रिसायकल कर बिजली बनाती है या अन्य उपयोग में लेती है। आंकड़ों के मुताबिक, फिनलैंड का 99 प्रतिशत कचरा किसी न किसी रूप में उपयोग में आ जाता है। सार्वजनिक टॉयलेट भी यहाँ बेहद स्वच्छ होते हैं। दिन में कई बार सफाई होती है और हर चीज़ सुव्यवस्थित रहती है। बच्चों को बचपन से ही सफाई की शिक्षा दी जाती है। सुदामा/ईएमएस 20 मई 2025