21-May-2025
...


नई दिल्ली,(ईएमएस)। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है, लेकिन जांच जारी रहेगी। कोर्ट ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाने के निर्देश दिए हैं और साफ किया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त अधिकार है, लेकिन इस अधिकार के साथ कर्तव्य और ज़िम्मेदारी भी जुड़ी होती है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने प्रोफेसर अली खान की सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा, कि देश पर संकट के समय, क्या इस तरह की टिप्पणियां देना जरूरी था? ऐसे समय में जब ‘राक्षस’ देश में घुस आए और निर्दोष नागरिकों पर हमला हुआ, तब क्या यह बयान जिम्मेदारीपूर्ण कहा जा सकता है? आगे कोर्ट ने यह भी कहा, कि हर किसी को बोलने का अधिकार है, लेकिन ‘माया और संकेत’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया गया? यही डॉग-व्हिस्लिंग कहलाता है। कोर्ट में प्रोफेसर अली खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, कि यह बयान युद्ध को उकसाने वालों के खिलाफ है। इसमें कोई आपराधिक मंशा नहीं है। प्रोफेसर एक देशभक्त विद्वान हैं, और उन्होंने मीडिया में फैले उन्माद पर प्रतिक्रिया दी थी। अधिवक्ता सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि एफआईआर अनावश्यक रूप से दर्ज की गई और गिरफ्तारी जल्दबाज़ी में की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो अभी जांच पर रोक नहीं लगाएगा, लेकिन प्रोफेसर अली खान को राहत देते हुए अंतरिम जमानत दी जा रही है। साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह मामले की एसआईटी से स्वतंत्र जांच कराए। हिदायत/ईएमएस 21मई25