21-May-2025
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बानू ने पहली लघु कहानी मिडिल स्कूल के समय में लिखी थी नई दिल्ली,(ईएमएस)। कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक की लघु कहानी हार्ट लैंप को अंतर्राष्ट्रीय बुकर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। उनकी इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद दीपा भस्थी ने किया है। बानू की हार्ट लैंप अब लंदन के मशहूर जीबीपी 50,000 में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ किताब बन गई है। बुकर पुरस्कार मिलने से खुशी जाहिर करते हुए बानू ने कहा कि यह एक ही आकाश को रोशन करने वाले हजारों जुगनू जैसा है...पूरी तरह से शानदार और सामूहिक है। कर्नाटक की मशहूर कन्नड़ लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता 77 साल की बानू मुश्ताक अपने महिला केंद्रित साहित्य के लिए जानी जाती हैं। हार्ट लैंप के पहले भी उनकी कई रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। इतना ही नहीं वह कई बार कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। बानू को लेखिका के अलावा महिला अधिकारों की वकालत करने और भेदभाव पर सवाल उठाने के उनके कानूनी काम के लिए जाना जाता है। अपनी कहानियों को लेकर मुश्ताक का कहना है कि उनकी रचना दर्शाती है कि कैसे धर्म, समाज और राजनीति महिलाओं से बिना सवाल किए आज्ञाकारिता की मांग कर दी है। वह इतने पर ही नहीं रुकतीं इतना करने के बाद भी वह महिलाओं के ऊपर क्रूरता दिखाती है। बानू मुश्ताक के मुताबिक उन्होंने अपनी पहली लघु कहानी मिडिल स्कूल के समय में लिखी थी। यहीं से उनके लेखन की यात्रा शुरू हुई। उनकी पहली मशहूर कहानी 26 साल की उम्र में एक कन्नड़ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद लोगों का ध्यान उनके साहित्य की ओर गया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई साहित्यिक रचनाएं लिखीं। उनकी शानदार रचनाएं कर्नाटक के प्रगतिशील आंदोलनों से प्रेरित मानी जाती हैं। मुश्ताक ने कर्नाटक के अलावा कई राज्यों की यात्रा की हैं। इस दौरान उन्होंने खुद को बंदया साहित्य आंदोलन से भी जोड़ा है। यह आंदोलन जाति और वर्ग के खिलाफ संघर्षरत लोगों की मदद करता है और उनके बारे में लिखता था। हार्ट लैंप के अलावा बानू छह लघु कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह की लेखिका हैं। साहित्य में उनके कामों के लिए उन्हें कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार और दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। सिराज/ईएमएस 21मई25