-विदेश मंत्रियों की बैठक में सहमति बनी; अभी शिंजियांग से ग्वादर पोर्ट तक है सीपेक प्रोजेक्ट बीजिंग(ईएमएस)। चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बुधवार को बीजिंग में हुई बैठक में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपेक) का अफगानिस्तान तक विस्तार करने पर सहमति बनी है। पाकिस्तान के फॉरेन ऑफिस ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। चीन के शिंजियांग से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट तक बनने वाला यह कॉरिडोर अफगानिस्तान तक जाएगा। इस कॉरिडोर से चीन की प्लानिंग मिडिल-ईस्ट के देशों से सडक़ कनेक्टिविटी बनाना है। सीपेक का विस्तार पाकिस्तान से अफगानिस्तान में कहां-कहां होगा, इसकी जानकारी अभी नहीं आई है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने आज बीजिंग में बैठक की। बैठक में तीनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग के जरूरी माना। इसके साथ ही डिप्लोमैटिक को आगे बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए ठोक कदम उठाने पर चर्चा की। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 2013 में की गई थी। इसमें चीन के शिंजियांग प्रांत से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक 60 बिलियन डॉलर (करीब 5 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। सीपेक के तहत चीन सडक़, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। सीपेक से चीन को फायदा इस कॉरिडोर से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी। चीन इम्पोर्ट होने वाला 80 प्रतिशत क्रूड ऑयल मलक्का की खाड़ी से शंघाई पहुंचता है। अभी करीब 16 हजार किमी का रास्ता है, लेकिन सीपेक से ये दूरी 5 हजार किमी घट जाएगी। इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए चीन अरब सागर और हिंद महासागर में पैठ बनाना चाहता है। ग्वादर पोर्ट पर नेवी ठिकाना होने से चीन अपने बेड़े की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए भी ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा। ग्वादर चीन के नेवी मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। सीपेक को लेकर पाकिस्तान में भी नाराजगी चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर चीन के बलूचिस्तान में भी नाराजगी देखने को मिलती है। बीते कुछ सालों में बलूचिस्तान के उग्रवादी संगठनों ने कई चीनी नागरिकों को निशाना बनाया है। इसकी वजह यह है कि बीते 5 साल में यहां उनकी ताकत और रसूख बहुत तेजी से बढ़ा है। कई जगहों पर तो वो स्थानीय लोगों से भी ज्यादा ताकतवर हैं। उग्रवादी संगठनों को लगता है कि चीनी नागरिकों की वजह से उनकी कम्युनिटी औक इलाकों को नुकसान हो रहा है और वो उनके कारोबार छीन रहे हैं। शुरुआती तौर पर कराची और लाहौर जैसे इलाकों में चीनी नागरिकों के कारोबार और ऑफिसों पर हमले हुए। इसके बाद उनकी कंपनियों को टारगेट किया जाने लगा। विनोद उपाध्याय / 21 मई, 2025