-नरसिंहानंद के आपत्तिजनक भाषण पर पोस्ट को लेकर दर्ज किया था मामला प्रयागराज,(ईएमएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैक्ट चेकिंग साइट के सह-संस्थापक के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है। यह एफआईआर गाजियाबाद में महंत यति नरसिंहानंद के आपत्तिजनक भाषण पर एक पोस्ट को लेकर दर्ज की गई थी। हालांकि कोर्ट ने जांच में उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक को बढ़ा दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने फैक्ट चेकिंग साइट के सह-संस्थापक द्वारा दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी है। कोर्ट ने सह-संस्थापक को मामले की जांच पूरी होने तक देश छोड़ने से भी रोक दिया है। कोर्ट ने अपने 37 पेज के फैसले में कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां कई धर्म, जनजातियां और नस्लें हैं। वे सभी एक साथ शांति से रह रहे हैं। क्या याचिकाकर्ता संयम बरत रहा था, यह एक ऐसी बात है जिसकी जांच एजेंसियों को करनी होगी। न्यूज के सह-संस्थापक पर गाजियाबाद पुलिस ने अक्टूबर 2024 में एक एफआईटार दर्ज की थी। उन पर यति नरसिंहानंद के सहयोगी पुजारी उदिता गोस्वामी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। सह-संस्थापक ने एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बाद में इसमें कई धाराएं जोड़ी गई। याचिका के मुताबिक सह-संस्थापक ने 3 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद के वीडियो की एक सीरीज पोस्ट की थी। बाद में, उन्होंने उनके अन्य विवादास्पद भाषणों के साथ अन्य ट्वीट भी साझा किए। उनका मकसद यति नरसिंहानंद के भड़काऊ बयानों को उजागर करना और पुलिस अधिकारियों से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करना था। शिकायतकर्ता ने सह-संस्थापक पर यति नरसिंहानंद के पुराने वीडियो क्लिप साझा करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सह-संस्थापक ने मुसलमानों को हिंसा भड़काने के इरादे से ऐसा किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके ट्वीट के कारण गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने एफआईआर का बचाव किया था। सरकार ने तर्क दिया कि न्यूज के सह-संस्थापक ने अपने एक्स पोस्ट के जरिए से एक कहानी बनाई और जनता को भड़काने की कोशिश की। उनके एक्स पोस्ट के समय पर भी सवाल उठाया गया। सरकार का कहना था कि उन्होंने आग में घी डालने का काम किया। सह-संस्थापक ने दावा किया कि उनके पोस्ट एक फैक्ट-चेकर के रूप में उनके पेशेवर दायित्व का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि ऐसे पोस्ट बीएनएस के तहत कोई अपराध नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह यति नरसिंहानंद के आचरण को उजागर करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न केवल उन्होंने, बल्कि कई समाचार लेखों और सोशल मीडिया अकाउंट ने भी इसी मुद्दे के बारे में पोस्ट किया था। सिराज/ईएमएस 23मई25