तुर्किये(ईएमएस)। अमेरिका, चीन और इज़राइल जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए तुर्की ने ड्रोन टेक्नोलॉजी में अपनी अलग पहचान बनाई है। यही वजह है कि तुर्की दुनिया में सबसे बड़ा सैन्य ड्रोन निर्यातक बन चुका है। 90 के दशक में जब तुर्की ने इज़राइल से हेरोन यूएवी खरीदने की कोशिश की तो एक शर्त रखी गई कि उन्हें इज़राइली पायलट ही उड़ाएंगे। तुर्की को यह बात नागवार गुजरी, और उसने तय कर लिया कि अब वह विदेशी हथियारों पर निर्भर नहीं रहेगा। इसके बाद, कई बार उसे अपने पारंपरिक सहयोगियों से प्रतिबंध और अस्वीकार झेलने पड़े जिससे तुर्की और भी ज्यादा आत्मनिर्भर ड्रोन तकनीक विकसित करने के लिए प्रेरित हुआ। अमेरिका, चीन और इज़राइल जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए तुर्की का ग्लोबल ड्रोन बाजार में 65प्रतिशत हिस्सा हो चुका है, जबकि चीन का 26 प्रतिशत और अमेरिका का सिर्फ 8 प्रतिशत है। इस सफलता का राज है तुर्की की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और किफायती लेकिन हाई-टेक ड्रोनों का निर्माण। इससे वो देशों को आकर्षित करता है जो अमेरिकी या चीनी विकल्पों से बचना चाहते हैं। यूक्रेन, लीबिया, सीरिया और अजरबैजान जैसे क्षेत्रों में तुर्की के ड्रोन काफी प्रभावशाली साबित हुए हैं। यूक्रेन-रूस संघर्ष में टीबी2 ड्रोन ने रूसी सेना के खिलाफ कारगर हमला करके अपनी ताकत दिखाई है। वीरेंद्र/ईएमएस/28मई 2025