(विश्व साइकिल दिवस पर विशेष) हर साल 3 जून को मनाया जाने वाला विश्व साइकिल दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक विचार है—ऐसा विचार जो हमें स्थायी जीवनशैली, स्वच्छ वातावरण और बेहतर स्वास्थ्य की ओर प्रेरित करता है। इस दिशा में कई लोग अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन दो नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं—विनोद पांडेय, जो साइकिल को शहर की धड़कन बनाना चाहते हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने संडे साइक्लिंग को अपनाकर लाखों लोगों को प्रेरित किया। विनोद पांडेय का ‘साइकिल सिटी’ का सपना भारत के कुछ शहरों में बदलाव की ये हवा चल चुकी है, और इस दिशा में एक नाम प्रमुखता से उभरता है – विनोद पांडेय। विनोद जी का मानना है कि अगर शहर साइकिल के लिए बने, तो वहाँ लोग बेहतर ज़िंदगी जी सकते हैं। उनकी कल्पना है ऐसी सड़कें जहां कार से ज्यादा साइकिल दिखें ऐसी कॉलोनियाँ जहाँ बच्चे मोबाइल छोड़कर साइकिल चलाएं ऐसा ट्रैफिक जहाँ हॉर्न नहीं, घंटियों की आवाज़ हो और ऐसी सोच जहाँ प्रगति का पैमाना कार नहीं, साइकिल हो उनकी यह साइकिल सिटी सिर्फ एक योजना नहीं, एक आंदोलन है – जो स्कूलों, कॉलोनियों, नगर निकायों और आम जनता को जोड़ रहा है। उन्होंने साइकिल चलाने को जनांदोलन बनाने का बीड़ा उठाया है। शहर के हर कोने में सुरक्षित और समर्पित साइकिल लेन की वकालत कर रहे हैं।स्कूली बच्चों, ऑफिस कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हर मोहल्ला, हर सड़क, हर गली—साइकिल के लिए खुली हो” यही उनका सपना है। उनकी यह सोच ना केवल ट्रैफिक कम कर सकती है, बल्कि शहर को प्रदूषण से भी मुक्त कर सकती है। एक साथ कदम: जब सोच और शक्ति जुड़ते हैं जब विनोद पांडेय जैसे जमीनी कार्यकर्ता और नरेंद्र मोदी जैसे वैश्विक नेता एक जैसी सोच रखते हैं, तो उम्मीद की साइकिल और भी तेज़ चलती है। सड़कों पर कारें नहीं, साइकिलों की शृंखला दिखाई दे।बच्चों की पहली पसंद साइकिल बने, मोबाइल नहीं। विनोद पांडेय: एक व्यक्ति, एक सपना – साइकिल सिटी की ओर हमारे देश में ऐसे कई नायक हैं, जो बिना किसी पद या प्रचार के समाज को दिशा दे रहे हैं। विनोद पांडेय ऐसे ही एक सजग और समर्पित नागरिक हैं, जो वर्षों से यह प्रयास कर रहे हैं कि उनका शहर सिर्फ स्मार्ट न हो, बल्कि साइकिल फ्रेंडली भी हो। उनका सपना है – एक साइकिल सिटी, जहाँ:स्कूल, कॉलेज, ऑफिस – हर जगह साइकिल के लिए रास्ता हो बच्चों को कार में बैठने की नहीं, साइकिल चलाने की आदत हो लोगों को साइकिल पर गर्व हो, हीन भावना नहीं विनोद जी की सोच है: “अगर शहरों में साइकिल को स्थान मिलेगा, तो वहां शुद्ध हवा, स्वस्थ नागरिक और शांत जीवन मिलेगा।” world cycle day पर एक संकल्प लें—हर दिन थोड़ा साइकिल चलाएं, थोड़ा प्रकृति से जुड़ें, और मिलकर बनाएं एक स्वस्थ, स्वच्छ और सुंदर साइकिल सिटी भारत। * पैडल घुमाइए, परिवर्तन लाइए! * ईएमएस / 02 जून 25
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