नई दिल्ली (ईएमएस)। पेगासस जासूसी कांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार केंद्र अमेरिका की अदालत है। अमेरिका की कैलिफोर्निया स्थित एक फेडरल कोर्ट में चल रहे व्हाट्सएप बनाम एनएसओ मामले में भारत मैं 100 लोगों की जासूसी करने का सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। व्हाट्सएप द्वारा दाखिल दस्तावेजों के अनुसार, पेगासस स्पाइवेयर के ज़रिए 51 देशों में 1223 लोगों की जासूसी की गई है। जिसमें भारत के 100 नाम शामिल हैं। भारत इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है, जिससे भारत की संप्रभुता कानूनी एवं मौलिक अधिकारों को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस खुलासे के बाद केंद्र सरकार से बडे तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा है, यदि पेगासस केवल सोवरेन गवर्नमेंट्स यानी संप्रभु सरकारों को ही बेचा जाता है। भारत सरकार या उससे अधिकृत किसी एजेंसी ने इसे खरीदा होगा। यदि सरकार और किसी एजेंसी ने नहीं खरीदा है, तो भारत में 100 लोगों की जासूसी कैसे हुई? सुरजेवाला ने पूछा कि कौन-सी एजेंसी ने यह स्पाइवेयर खरीदा, किसकी अनुमति से खरीदा और किस बजट से इसका भुगतान हुआ? उन्होंने यह भी सरकार से स्पष्ट करने की मांग की है। क्या इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और मंत्रियों की जासूसी के लिए किया गया है? इस पूरे मामले मे भारत सरकार अब तक सुप्रीम कोर्ट में यह कहकर जवाब टालती रही है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। अब अमेरिकी अदालत में दस्तावेज पेश हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस रविंद्रन कमेटी पहले ही कह चुकी है। केंद्र सरकार ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया। रिपोर्ट अगस्त 2022 से सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पड़ी है। जब अमेरिकी कोर्ट में यह प्रमाणित हो चुका है। भारत में पेगासस का इस्तेमाल हुआ है। देश की सर्वोच्च संस्थाएं अब भी चुप रहेंगी? क्या सरकार स्पष्ट करेगी, कि उसने इस सॉफ्टवेयर को खरीदा था या नहीं। अगर खरीदा था, तो किन लोगों की निगरानी की गई और क्यों की गई है? किन अधिकारों के तहत यह जासूसी कराई गई है। रणदीप सुरजेवाला के सवाल केवल राजनीतिक नहीं रहे। लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता की बुनियाद से जुड़े यह सवाल बन चुके हैं। कांग्रेस इस मामले में आक्रामक रुख अपना चुकी है। आने वाले समय में सरकार के लिए परेशानी बढ सकती है। एसजे / 27 जून 25