नई दिल्ली (ईएमएस)। अपने रिटायरमेंट के बाद भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अब तक सरकारी आवास खाली नहीं किया था, लेकिन अब बताया जा रहा है कि उन्होंने यह आवास छोड़ना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या देश के सबसे ऊंचे न्यायिक पद पर रहने वाले व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद कोई स्थायी आवास या विशेष सुविधा मिलती है, जैसी कि पूर्व राष्ट्रपति को दी जाती है। इस सवाल का सीधा जवाब है – नहीं। भारत के मुख्य न्यायाधीश को सेवा समाप्ति के बाद स्थायी सरकारी आवास की सुविधा नहीं मिलती। नियमों के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद किसी भी मुख्य न्यायाधीश को अधिकतम छह महीने तक सरकारी बंगले में रहने की अनुमति होती है। आमतौर पर यह टाइप- वीआईआई श्रेणी का आवास होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि वर्तमान मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की अनुमति हो तो यह अवधि थोड़े समय के लिए बढ़ाई जा सकती है। चंद्रचूड़ को पारिवारिक कारणों से कुछ अतिरिक्त समय दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अब और विस्तार नहीं दिया जा सकता, और उन्हें तुरंत आवास खाली करना होगा। रिटायरमेंट के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश को अपने निजी घर में ही रहना होता है। यदि उनके पास कोई निजी घर उपलब्ध नहीं है, जैसा कि चंद्रचूड़ के मामले में बताया गया, तो उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ती है। उनके अनुसार, उनके परिवार की विशेष परिस्थितियों और बेटियों की देखभाल की जरूरत के कारण उन्हें आवास की व्यवस्था में समय लग रहा था। नियमों के मुताबिक, छह महीने तक पूर्व मुख्य न्यायाधीश सरकारी बंगले में बिना किराया दिए रह सकते हैं, केवल मामूली लाइसेंस फीस देनी होती है। उदाहरण के लिए, जस्टिस चंद्रचूड़ को दिसंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक टाइप वीआईआई श्रेणी के बंगले में रुपए 5,430 प्रतिमाह की लाइसेंस फीस पर रहने की अनुमति मिली थी, जो बाजार दर की तुलना में बेहद कम है। रिटायरमेंट के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश को अन्य कई सुविधाएं भी मिलती हैं। उन्हें लगभग रुपए 1.4 लाख प्रतिमाह पेंशन मिलती है, साथ ही रुपए 20 लाख रुपये ग्रेच्युटी और महंगाई राहत भी मिलती है। छह महीने तक सरकारी आवास, पांच साल तक सुरक्षा, जीवनभर ड्राइवर और घरेलू सहायक, रुपए4,200 की संचार सुविधा, सेक्रेटेरियल असिस्टेंट और एयरपोर्ट पर विशेष लाउंज की सुविधा भी दी जाती है। जुलाई 2025 तक भारत में सात पूर्व मुख्य न्यायाधीश जीवित हैं। संविधान के अनुच्छेद 124(7) के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट का कोई भी न्यायाधीश वकालत नहीं कर सकता। सुदामा/ईएमएस 09 जुलाई 2025