भारी बारिश के संकेतों पर अध्ययन किया जाए जबलपुर, (ईएमएस)। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने बताया कि मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। विगत कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति को प्रभावित कर रहा है। इसलिए भारी वर्षा की घटनाओं को उनकी आवृत्ति पर नजर रखना और यह गणना करना होगा कि किसी दिए गए वर्ष में किसी विशेष स्थान की कुल वर्षा का कितना प्रतिशत चरम एक दिवसीय घटनाओं के रूप में आया है, इसकी निगरानी और अध्ययन किया जाए। वर्तमान भारी बारिश और असामान्य तापमान ने मध्यप्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। कम समय में तेज बारिश ने रिकॉर्ड बना दिया है। भारी बारिश से हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं। नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, और कई सड़कें व रास्ते बंद होने से यातायात ठप हो गया है। नर्मदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बरगी और तवा डैम से पानी छोड़े जाने के बाद निचले इलाकों में खतरा बढ़ गया है। भारी वर्षा का सबसे तात्कालिक प्रभाव बाढ़ की संभावना है। यह जोखिम शहरी क्षेत्रों में बढ़ सकता है। बाढ़ के अलावा, भारी वर्षा से भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है। राज कुमार सिन्हा का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के चलते मौसम का यह अस्थिर रूप देखने को मिला है।जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन ग्रह को गर्म कर रहा है, वैसे-वैसे दुनिया भर में हवा के द्रव्यमान वास्तव में गर्म होते जा रहे हैं और पृथ्वी पर जल वाष्प की कुल मात्रा लगातार बढ़ रही है। तीव्र और लंबे समय तक बारिश के कई कारण हैं। उसमें मुख्य कारण वातावरण में नमी की मात्रा है। यदि बहुत अधिक नमी मौजूद है, तो भारी बारिश की संभावना बढ़ जाती है।गर्म हवा में ठंडी हवा के मुकाबले ज़्यादा नमी होती है। जैसे-जैसे जमीन का तापमान बढ़ता है, हवा अधिक नमी खिंचती है। जिसके कारण ज़्यादा बारिश होती है।जब किसी क्षेत्र में वायुमंडलीय दबाव कम होता है, तो वहां अधिक नमी एकत्रित होती है और यह नमी तेजी से संघनित होकर भारी बारिश का कारण बन जाती है। मध्यप्रदेश में अब तक औसतन 10.8 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो कुल सीजन का लगभग 30% हिस्सा है।सबसे ज्यादा बारिश मंडला जिले में हुई है, यहां 58.8 इंच पानी गिर चुका है, जबकि सिवनी में 55.1 इंच।आम तौर पर बारिश को भारी बारिश के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जब प्रति घंटे 7.6 मिमी से अधिक या उसके बराबर पानी गिरता है। चुंकि भारी बारिश प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकती है, इसलिए भारी बारिश की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की दिशा में ठोस प्रयास आवश्यक है।जीवाश्म ईंधनों के जलने और वनों की कटाई से पृथ्वी गर्म हो रहा है, जिससे विश्व भर में लगातार और तीव्र बारिश हो रही है। हमें अब मानसून के प्रदर्शन के साथ-साथ वर्षा के वितरण पर भी ध्यान देना चाहिए। चाहे सूखा वर्ष हो या भारी वर्षा का, चरम मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हमें अपने जीवन, आजीविका और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। आने वाले वर्षों में मानसून की अनिश्चितता और बढ़ सकती है। देश में भारी बारिश और लंबे सूखे के बीच का अंतर और गहराता जाएगा। बरगी बांध एवं प्रभावित संघ ने सरकार से मांग किया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए एक ठोस अनुकूलन रणनीति तैयार किया जाए,ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो और फसलों के नुकसान से खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित किया जा सके। सुनील साहू / मोनिका / 09 जुलाई 2025/ 01.55