राष्ट्रीय
09-Jul-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। रूस और अमेरिका फिर उन्नत फाइटर जेट्स के द्वारा हवाई प्रभुत्व में अपना-अपना दबदबा कायम रखना चाहते हैं। जहां रूस अपने एसयू-57 फाइटर जेट को अपग्रेड कर रहा है, वहीं अमेरिका एफ-47 नाम के अगली पीढ़ी के जेट को तैयार कर रहा है। दोनों विमान 2030 तक पूरी तरह ऑपरेशन हो सकते हैं। दोनों जेट्स में एआई आधारित फ्लाइट असिस्टेंस शामिल है। एसयू-57 में एआई खतरे की पहचान, रणनीति और रीयल-टाइम सुझाव देता है। एफ-47 एआई के ज़रिए स्वायत्त निर्णय, डेटा फ्यूजन, और मानवरहित ड्रोन्स के साथ सामूहिक मिशन भी संभव बनाएगा। स्टील्थ और स्पीड: क्या है अंतर एसयू-57: रडार से बचने की क्षमता को अपग्रेड किया जा रहा है, लेकिन इसकी डिज़ाइन अभी भी पारंपरिक फ्रेम के करीब है। एफ-47: पूरी तरह से स्टील्थ को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जिससे यह गहरे दुश्मन क्षेत्र में भी सुरक्षित ऑपरेट कर सकता है। हथियार क्षमता: हाइपरसोनिक बनाम मल्टी-रोल एसयू-57 में 5+ मैक स्पीड वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें प्रमुख हथियार होंगी। एफ-47 भी हाई-स्पीड और सटीकता वाली मिसाइलों से लैस होगा, पर इसके साथ इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध क्षमता भी अधिक होगी। तकनीकी दृष्टि से: एफ-47 अधिक एडवांस्ड प्रतीत होता है, विशेषकर नेटवर्केड वॉरफेयर और वैश्विक इंटीग्रेशन में अमेरिका की लॉजिस्टिक क्षमता, नाटो सहयोग और फंडिंग इस बढ़त देते हैं। वहीं एसयू-57 को रूस की आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों से जूझना पड़ सकता है। 2030 तक की तस्वीर स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक बात तय है कि एफ-47 और एसयू-57 की यह टक्कर भविष्य की हवाई लड़ाइयों की दिशा तय करेगी। यदि रूस तकनीकी सुधारों को समय पर पूरा करता है और उत्पादन बढ़ाता है, तब एसयू-57 मुकाबले में बना रहेगा। लेकिन अमेरिका की वैश्विक पकड़ और तकनीकी बढ़त के चलते एफ-47 को फिलहाल आगे माना जा सकता है। आशीष दुबे / 09 जुलाई 2025