राष्ट्रीय
16-Jul-2025


नई दिल्ली(ईएमएस)। विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने मंगलवार को चीन की अध्यक्षता में तियानजिन में आयोजित की गई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत का नेतृत्व किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने पाकिस्तान और उसके सदाबहार दोस्त चीन पर जमकर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एससीओ की स्थापना ‘आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ’जैसी तीन बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए हुई थी। ऐसे में समूह के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी स्थापना के उद्देश्यों के प्रति ईमानदार बना रहे और आतंकवाद की चुनौती के खिलाफ किसी तरह का कोई समझौता न करने का पक्ष ले। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का भी पुरजोर अंदाज में उल्लेख किया। एक्स पर एक पोस्ट के जरिए जयशंकर ने यह जानकारी दी। जिसमें उन्होंने बताया कि कई बार उक्त तीनों बुराइयों से एक-साथ सामना होने पर कोई अचरज नहीं होता है। हाल ही में भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकवादी हमले का एक बड़ी घटना इसका ताजा उदाहरण पेश करती है। जिसके पीछे केंद्रशासित प्रदेश की पर्यटन से जुड़ी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और धार्मिक बंटवारे का मकसद था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने एक बयान जारी कर पहलगाम हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी और इसके दोषियों, आयोजकों, वित्तीय मददगारों व प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की आवश्यकता जताई थी। भारत ने बिलकुल यूएनएससी के बयान के मुताबिक ही अपनी कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) की है। हम भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे। बताते चलें कि जयशंकर के समूह देशों के समक्ष दिए गए संबोधन के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और चीन के विदेश मंत्री वांग यी बैठक में मौजूद थे। जानकारों की राय में जयशंकर का ये बयान पूर्व में समूह के रक्षा मंत्रियों की बैठक के अंत में जारी किए वाले संयुक्त घोषणापत्र के प्रारूप में पहलगाम हमले का उल्लेख न करने से नाराज होकर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करने की मंशा से शत-प्रतिशत मेल खाता हुआ दिखाई पड़ता है। जिसमें पुन: भारत ने पाकिस्तान और चीन के समक्ष आतंकवाद के खिलाफ बनी हुई अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति और उससे जुड़े इरादे बिना किसी लाग-लपेट के सख्त लहजे में साफ कर दिए हैं। राजनाथ के हस्ताक्षर न करने की वजह से एससीओ के रक्षा मंत्री की बैठक के बाद संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं किया जा सका था। जयशंकर ने समूह देशों से कहा कि हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं। जब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है। बीते कुछ वर्षों में हमने कई संघर्षों, प्रतिस्पर्धा और दादागिरी की घटनाएं देखी हैं। आर्थिक अस्थिरता प्रत्यक्ष रूप बढ़ती हुई नजर आ रही है। वर्तमान में हमारे समक्ष एक चुनौती वैश्विक व्यवस्था को स्थिर बनाने, विभिन्न आयामों में जोखिम को कम करने और हमारे साझा हितों को चुनौती देने वाले पुराने खतरों पर ध्यान केंद्रित करने से जुड़ी हुई है। विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान एससीओ के पुराने एजेंडे से जुड़ा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर समूह देशों को अफगानिस्तान के विकास के मामलों के लिए कदम उठाने चाहिए। भारत इस दिशा में ऐसा ही करेगा। क्षेत्रीय स्थिरता की अनिवार्यता के अलावा यह अफगानिस्तान के आम लोगों की भलाई से संबंधित है। दुनिया आज बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है। ये राष्ट्रीय क्षमताओं का पुनर्वितरण नहीं है। लेकिन प्रभावी समूहों जैसे एससीओ के उभार को प्रदर्शित करता है। वैश्विक मामलों को आकार देने में हमारी भूमिका, क्षमता साझा एजेंडे को लेकर एक साथ आगे बढ़ने में है। जिसमें समूह के सभी देश एक मंच पर खड़े हो। वीरेंद्र/ईएमएस/16जुलाई2025 ---------------------------------