राष्ट्रीय
17-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। योगासनों में चक्रासन या व्हील पोज एक महत्वपूर्ण आसन है, जिसमें शरीर को पीछे की ओर मोड़कर पहिए जैसा आकार दिया जाता है। इसे उर्ध्व धनुरासन भी कहा जाता है। योग केवल शरीर को मजबूत बनाने का साधन नहीं है, बल्कि यह मन को शांत और सक्रिय बनाए रखने में भी बेहद कारगर माना जाता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, यह आसन रीढ़ और कमर की समस्याओं को दूर करता है, आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है, कब्ज को कम करता है और तनाव व चिंता को घटाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आसन शरीर को लचीला बनाता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे शरीर की सक्रियता और सहनशीलता भी बढ़ती है। चक्र का मतलब पहिया होता है और आसन का अर्थ मुद्रा। इस योग में शरीर को इस तरह मोड़ा जाता है कि यह पीछे से एक पहिए की तरह दिखे। अभ्यास के दौरान पीठ, हाथ, पैर और पेट की मांसपेशियां मजबूती पाती हैं। साथ ही यह आसन शरीर की मुद्रा में भी सुधार करता है और नियमित अभ्यास से पीठ दर्द जैसी समस्याओं को कम करता है। यह आंखों की मांसपेशियों को भी सक्रिय करता है जिससे दृष्टि क्षमता बेहतर हो सकती है। पाचन क्रिया में सुधार और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत भी चक्रासन के नियमित अभ्यास से संभव है। मानसिक दृष्टि से यह तनाव और चिंता को घटाकर मन को शांत रखने में सहायक होता है। शरीर में लचीलापन बढ़ाने के साथ यह आसन पूरी दिनचर्या को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी सही तकनीक महत्वपूर्ण है। अभ्यास के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेटना चाहिए, फिर घुटनों को मोड़कर पैरों को कूल्हों के पास लाना चाहिए। दोनों हाथों को सिर के पास रखकर हथेलियों को जमीन पर टिकाएं और उंगलियां कंधों की ओर रहें। गहरी सांस लेते हुए हथेलियों और पैरों पर जोर देकर शरीर को ऊपर उठाएं और सिर को आराम से पीछे की ओर लटकने दें। इस मुद्रा में 10 से 20 सेकंड तक रहना चाहिए और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। सुदामा/ईएमएस 17 जुलाई 2025