नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से लौटते हुए स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ के जरिए प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक लैंड हुए। यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण रहा क्योंकि शुक्ला इसी के साथ आईएसएस का दौरा करने वाले भारत के पहले यात्री बन गए हैं। अंतरिक्ष से धरती पर वापसी के लिए समुद्र में उतरना कोई संयोग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और तकनीकी निर्णय होता है। चलिए समझते हैं, शुभांशु शुक्ला के यान की समुद्र में लैंडिंग के पीछे के तीन प्रमुख कारण क्या थे— प्रथमत: यान की डिजाइन और अमेरिका की परंपरा अमेरिकी अंतरिक्ष यान, विशेष रूप से स्पेसएक्स द्वारा विकसित ड्रैगन कैप्सूल, को समुद्र में स्प्लैशडाउन के लिए डिजाइन किया गया है। इसके विपरीत, रूस और चीन के यान, जैसे सोयूज और शेनझोउ, जमीन पर लैंडिंग के लिए बनाए जाते हैं। यह अंतर डिजाइन, एरोडायनामिक्स, रीकवरी प्रोसेस और संसाधनों पर आधारित होता है। अमेरिका लंबे समय से समुद्री लैंडिंग को अपनाता रहा है क्योंकि इसे लचीला और कम जोखिम वाला विकल्प माना जाता है। द्वितीय: रफ्तार और सुरक्षा अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में करीब 27,000 किमी/घंटा की रफ्तार से प्रवेश करता है। इस रफ्तार को सिर्फ पैराशूट और बूस्टर से जमीन पर रोकना चुनौतीपूर्ण होता है। समुद्र में लैंडिंग के दौरान पानी एक प्राकृतिक कुशन की तरह काम करता है, जिससे लैंडिंग की गति को 20–25 किमी/घंटा तक लाया जा सकता है, जैसा कि एक्सओम-4 मिशन में किया गया। इसके विपरीत, जमीन पर यदि लैंडिंग असफल हो तो गंभीर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। तृतीय: मलबे और दुर्घटना जोखिम कम करना जमीन पर लैंडिंग से आस-पास के क्षेत्र में कचरा फैलने और लोगों की संपत्ति को नुकसान का खतरा रहता है। उदाहरण के लिए, स्टारलाइनर की न्यू मैक्सिको लैंडिंग में मलबा काफी दूर तक फैल गया था। इसके उलट, समुद्र में लैंडिंग से ऐसे जोखिम कम या नगण्य हो जाते हैं। हालांकि, समुद्र में भी खराब मौसम और रिकवरी प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन अमेरिका इस प्रक्रिया में दशकों से दक्ष है। समुद्र में स्प्लैशडाउन कोई आकस्मिक निर्णय नहीं, बल्कि यह अंतरिक्ष यान की संरचना, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रणनीतिक निर्णय होता है। शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नई शुरुआत और गगनयान मिशन के लिए आत्मविश्वास का प्रतीक बन गई है। हिदायत/ईएमएस 17 जुलाई 2025