नई दिल्ली,(ईएमएस)। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सर्वाधिक सैन्य भागीदारी करने वाले भारत ने एक बार फिर से जोरदार अंदाज में इस अंतरराष्ट्रीय मंच के समक्ष शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों के मामलों में न्याय की अपील की है। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पी. हरीश ने कहा, शांति सैनिकों के खिलाफ किए जाने वाले अपराधों के मामलों में न्याय या जवाबदेही एक महत्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता है। वैश्विक शांति स्थापना के प्रयासों के दौरान शांति सैनिकों को लगातार मुश्किल हालातों में काम करते हुए बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन अधिकतर मामलों में अपराधों के लिए सजा का अभाव देखने को मिलता है। जवाबदेही की यही कमी न केवल अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाती है। बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति के प्रयासों को भी कमजोर करती है। यह जानकारी पी. हरीश ने बीते मंगलवार देर-रात यूएन मुख्यालय में शांति सैनिकों के लिए खिलाफ अपराधों की जवाबदेही के लिए मित्र समूह (जीओएफ) की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भारत का पक्ष रखते हुए दी। जिसकी सह-अध्यक्षता भारत व अन्य देशों ने की। इस समूह की स्थापना 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के दौरान की गई थी। जिसमें ऐतिहासिक यूएनएससी प्रस्ताव-2589 (2021) की अहम भूमिका रही। उन्होंने ये भी कहा कि शांति सैनिकों के विरुद्ध होने वाले अपराधों को लेकर दोषियों की जवाबदेही तय करने से एक ओर शांति सैनिकों की सुरक्षा बढ़ती है। तो वहीं, दूसरी ओर इससे उनका मनोबल भी बढ़ता है। जिससे वे अपने सुरक्षा संबंधी तमाम जरूरी अभियानों या मिशन को बखूबी अंजाम दे पाते हैं। हरीश ने कहा कि इस दृष्टिकोण से इस विषय को पूरा करना हमारा साझा दायित्व है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारत के सैनिकों की कुल अनुमानित संख्या 3 लाख से अधिक है। जो दुनिया के अलग-अलग तनावग्रस्त इलाकों में यूएन के मैंडेट के तहत शांति स्थापना के प्रयासों में तैनात हैं। अब तक यूएन के इसी कर्म-क्षेत्र में तैनाती के दौरान भारत के कुल 182 शांति सैनिकों ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया है। बैठक में निकले जरूरी निष्कर्ष भारतीय राजदूत ने कहा कि इस बैठक के महत्वपूर्ण निष्कर्षों में जवाबदेही तंत्र को मजबूत बनाना, कानूनी फ्रेमवर्क को लागू करना, क्षमता विकास और तकनीकी सहायता, न्याय के लिए तकनीक का सशक्तिकरण और सैनिकों की सुरक्षा से जुड़े उपाय व बचाव मुख्य हैं। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि जवाबदेही केवल शांति सैनिकों के लिए न्याय से जुड़ा मामला नहीं है। ये दुनियाभर में यूएन शांति अभियानों की प्रभावशीलता, विश्वसनीयता और भविष्य का भी आधार है। उन्होंने कहा, हमारी चर्चाएं एक व्यापक रणनीति बनाने पर केंद्रित थीं। जिसमें किसी अपराध के लिए दोषियों को सजा देने के साथ ही अपराध पर शुरुआत से रोक लगाने का मुद्दा शामिल किया गया। एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता और दंडात्मक उपायों के साथ-साथ निवारक रणनीतियों पर भी बैठक में बल दिया गया। जिसमें सभी भागीदारों की राजनीतिक इच्छाशक्ति शामिल हो। वीरेंद्र/ईएमएस/17जुलाई2025