राष्ट्रीय
27-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। घंटों कंप्यूटर, मोबाइल या टैबलेट पर झुके रहने, ऑफिस में गलत पोस्चर में बैठने और शारीरिक सक्रियता की कमी जैसे कारण पीठ दर्द की समस्या को जन्म दे रहे हैं। आज की तेज रफ्तार जीवनशैली में पीठ दर्द एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल बुजुर्गों बल्कि युवा पीढ़ी को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। इसके अलावा मांसपेशियों में खिंचाव, डिस्क की समस्या, गठिया, मोटापा और तनाव भी इस परेशानी को बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ प्रकार के पीठ दर्द, जैसे कि चोट या आनुवंशिक कारणों से होने वाले दर्द को पूरी तरह टालना मुश्किल है। यह दर्द बार-बार उभर सकता है, लेकिन जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव कर इससे राहत पाई जा सकती है। सबसे जरूरी है कोर मांसपेशियों को मजबूत करना, क्योंकि पेट के आसपास की ये मांसपेशियां रीढ़ को सहारा देती हैं और दबाव को कम करती हैं। स्ट्रेचिंग, हल्का व्यायाम और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने वाले अभ्यास इसके लिए बेहद असरदार हो सकते हैं। 2024 की एक रिसर्च बताती है कि जो लोग हफ्ते में कम से कम 25 मिनट टहलते हैं, उन्हें पीठ दर्द की शिकायत कम होती है और डॉक्टर के पास भी कम जाना पड़ता है। यदि दर्द नसों के दबाव या डिस्क की समस्या के कारण हो, तो बिस्तर पर आराम करना समाधान नहीं होता, बल्कि मांसपेशियों की जकड़न बढ़ सकती है। ऐसे में हल्का टहलना, तैराकी या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह से कुछ व्यायाम करना अधिक फायदेमंद होता है। पीठ दर्द का मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। तनाव, चिंता और अवसाद इस दर्द को बढ़ा सकते हैं। व्यायाम जहां शारीरिक राहत देता है, वहीं मानसिक सुकून भी लाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम गति का व्यायाम और दो दिन मांसपेशियों को मजबूत करने वाले अभ्यास किए जाएं। सही आदतें और जागरूकता अपनाकर पीठ दर्द से बचा जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 70 प्रतिशत से अधिक पीठ दर्द से परेशान लोग किसी न किसी रूप में मानसिक तनाव या डिप्रेशन से जूझते हैं। सुदामा/ईएमएस 27 जुलाई 2025