किसान गर्जना संगठन ने हल्ला बोल कर दी उग्र आंदोलन की चेतावनी बालाघाट (ईएमएस). जिले में खाद की कमी बनी हुई है। सोसायटियों से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा है। परेशान किसानों ने अलग-अलग सोसायटियों का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। किसान गर्जना संगठन ने हल्ला बोल कर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि समय पर किसानों को खाद नहीं मिलती है तो नेशनल हाईवे में चकाजाम कर विरोध जताया जाएगा। किसान गर्जना संगठन के आव्हान पर जिले के अलग-अलग गांवों के किसानों ने सोसायटियों में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान संगठन के बैनर तले चिखला, सालेटेका , बम्हनी, पिपरझरी सहित अन्य सोसायटी का घेराव कर जमकर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान किसानों ने नारेबाजी भी की। किसानों को शीघ्र और समय पर खाद प्रदान किए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा। जल्द खाद उपलब्ध न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है डीएपी, यूरिया के लिए काट रहे चक्कर प्रदर्शनकारियों ने बताया कि किसानों ने धान बीज बोनी करने के बाद अब रोपाई का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। धान रोपाई का कार्य अब अंतिम चरणों पर है। लेकिन सोसायटियों से किसानों को समय पर न तो डीएपी मिल पा रहा है और न ही यूरिया। जिसके कारण किसान काफी परेशान है। खाद की कमी पिछले काफी दिनों से बनी हुई है। बावजूद इसके प्रशासन इसके निराकरण की दिशा में प्रयास नहीं कर रहा है। जिससे किसान काफी परेशान है। महंगे दामों में खरीद रहे खाद किसानों का कहना है कि एक तो सोसायटियों से खाद नहीं मिल पा रहा है। वहीं प्राइवेट दुकानों या चिल्लर खाद विक्रेताओं से चार सौ से पांच सौ रुपए अधिक दाम देकर प्रति बोरी खाद खरीदी जा रही है। किसान मजबूरी में प्र्राइवेट दुकानदारों को अधिक पैसा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्राइवेट दुकानदारों को पास खाद उपलब्ध है तो सोसायटियों में क्यों नहीं ? व्यापारियों से सांठगांठ का आरोप किसान गर्जना के अध्यक्ष अरविन्द चौधरी, किसान कुंजीलाल कटरे, प्रताप लाल बिसेन, हंसराज रनगिरे सहित अन्य किसानों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर व्यापारियों से सांठगांठ का आरोप लगाया है। संगठन अध्यक्ष चौधरी का कहना है कि प्रशासन द्वारा सोसायटियों में प्रति वर्ष खाद का आभाव रखा जाता है। वहीं ब्लेक में प्राइवेट व्यापारियों को खाद उपलब्ध कराती है। ताकि किसानों से प्राइवेट दुकानों के जरिए अधिक दाम पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकें। प्रशासन की इसी नीति के चलते किसानों में काफी आक्रोश है। भानेश साकुरे / 30 जुलाई 2025