नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के पारंपरिक हथकरघा बुनकरों को समर्पित सहायता प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। नदिया जिले के शांतिपुर और फुलिया क्षेत्र के बुनकरों की समस्याओं को लेकर लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस संकट को गंभीरता से लिया है और बीते वर्षों में व्यापक योजनाएं चलाई हैं। उन्होंने बताया कि सरकार पूरे देश में हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास, आधुनिकीकरण और बुनकरों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनमें पश्चिम बंगाल के पारंपरिक हथकरघा केंद्रों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने बताया कि 2014 से 2025 के बीच की प्रमुख उपलब्धियों में सबसे पहले, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और कच्चा माल आपूर्ति योजना के तहत पश्चिम बंगाल में 39 हथकरघा क्लस्टर स्थापित किए गए, जिनमें से 2 शांतिपुर और 12 नदिया जिले में हैं। इन योजनाओं के तहत कुल 39.10 करोड़ रुपये की सहायता दी गई और इससे 30,208 बुनकरों को लाभ मिला। इनमें 5,038 बुनकरों को उन्नत करघे और सहायक उपकरण भी प्रदान किए गए। कौशल विकास के अंतर्गत 1,676 बुनकरों को उन्नत प्रशिक्षण दिया गया जिससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी। वहीं विपणन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया गया है। हथकरघा उत्पादों को बेहतर बाजार देने के लिए 29 क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विपणन आयोजनों का संचालन किया गया। इसके अलावा 12 हथकरघा उत्पादक कंपनियां स्थापित की गईं, जिनमें 2 शांतिपुर और 1 फुलिया में हैं, जिससे बुनकरों को संस्थागत सहयोग और प्रबंधन की सुविधाएं मिलीं। वित्तीय सहायता के रूप में 43,198 बुनकरों को रियायती दर पर ऋण दिया गया है। बीमा सुरक्षा के अंतर्गत 2,11,550 बुनकरों को महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना के तहत और 45,390 बुनकरों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति व प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाओं के तहत बीमा कवर दिया गया। धागा आपूर्ति के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्रत्येक वर्ष औसतन 101.59 लाख किलोग्राम धागे की आपूर्ति की गई जिससे 54,807 बुनकर लाभान्वित हुए हैं। इसमें ढुलाई सब्सिडी और 15% मूल्य सब्सिडी भी शामिल है। वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि सरकार हथकरघा को पारंपरिक उद्योग के साथ-साथ आधुनिक उत्पादन, विपणन, वित्त और बीमा के माध्यम से आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा योग्य बना रही है। शांतिपुर और फुलिया जैसे पारंपरिक बुनकरी केंद्रों को योजनागत सहायता से उनकी संरचना, उत्पादों की गुणवत्ता और बुनकरों की आय में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार ने वस्त्र मंत्रालय के माध्यम से पश्चिम बंगाल के हथकरघा बुनकरों के लिए एक मजबूत और समग्र सहायता ढांचा तैयार किया है। यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की भावना को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। सुबोध\३१\०७\२०२५