राष्ट्रीय
13-Aug-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। सरकार मौजूदा समय में अन्य पिछड़ा वर्ग क्रीमी लेयर का दायरा बढ़ाकर नए मानदंड लागू करना चाहती है, ताकि ओबीसी आरक्षण का लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंच सके और इस समुदाय के संपन्न या उच्च पदों पर मौजूद लोगों को इससे बाहर किया जा सके। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि आय बहिष्करण मानदंड लागू करने और समतुल्यता स्थापित करने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, विधि मामलों के मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय, नीति आयोग और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के बीच परामर्श के बाद तैयार किया गया है। बता दें कि 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद ओबीसी के भीतर क्रीमी लेयर की अवधारणा को आरक्षण नीति में शामिल किया गया था। इसके तहत जो लोग सरकारी नौकरियों में उच्च पदों पर नहीं थे, उनके और अन्य के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा शुरुआत में 1993 में 1 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित की गई थी। बाद में 2004, 2008 और 2013 में इस आय सीमा में संशोधन किया गया। 2017 में क्रीमीलेयर की आय सीमा बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष की गई, जो अभी भी बरकरार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूँकि विश्वविद्यालयों के सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर जैसे शिक्षण कर्मचारियों का वेतन आमतौर पर लेवल 10 और उससे ऊपर से शुरू होता है, जो सरकारी पदों में ग्रुप-ए के पदों के बराबर या उससे अधिक है, इसलिए इन पदों को भी अब क्रीमी लेयर के रूप में वर्गीकृत करने का प्रस्ताव है। इसका सीधा-सीधा अर्थ ये है कि अगर सरकार ने समतुल्यता प्रस्ताव लागू किया तो इन पदों पर कार्यरत लोगों के बच्चे ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसी तरह निजी क्षेत्र में भी पदों की विभिन्न कैटगरी, उनके वेतन और सुविधाओं को देखते हुए सरकार समतुल्यता स्थापित करना चाह रही है। यानी प्राइवेट सेक्टर में भी जि लोगों का पद और वेतन लेवल 10 के समकक्ष है, वो भी क्रीमीलेयर के दायरे में लाए जा सकते हैं। केंद्रीय/राज्य स्वायत्त निकायों और केंद्रीय/राज्य वैधानिक संगठनों के लिए भी उनके स्तर/समूह/ वेतनमान (जैसा भी मामला हो) के आधार पर, केंद्र सरकार के अधिकारियों की सूची के साथ समतुल्यता स्थापित करने का प्रस्ताव है, क्योंकि वे भी केंद्र और राज्य सरकारों की संबंधित श्रेणियों का वेतनमान अपनाते हैं। इसी प्रकार, विश्वविद्यालयों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उनके स्तर/समूह/वेतनमान (जैसा भी मामला हो) के आधार पर क्रीमी लेयर में लाने का प्रस्ताव है। वीरेंद्र/ईएमएस/13अगस्त2025