बेंगलुरु (ईएमएस)। बेंगलुरु के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने हाल ही में विधान परिषद में बेंगलुरु के ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि यह समस्या अब इतनी बढ़ गई है कि उनके अपने बच्चे भी रोजाना इस परेशानी पर नाराजगी जताते है। डी.के. शिवकुमार ने बताया कि बेंगलुरु की आबादी दोगुनी होकर 1.4 करोड़ हो चुकी है, जिसमें करीब 25 लाख टेक प्रोफेशनल्स शामिल हैं। यह संख्या कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली से भी दोगुनी है। शहर में 1.2 करोड़ रजिस्टर्ड गाड़ियां हैं और इसके अलावा रोज़ाना 40 लाख और गाड़ियाँ आस-पास के जिलों से शहर में आती हैं। शिवकुमार ने स्वीकार किया कि बेंगलुरु की सड़कों का विस्तार नई दिल्ली जैसा नहीं हुआ। सड़कें उतनी ही चौड़ी हैं जितनी शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा के समय थीं, जबकि गाड़ियों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। एक औसत व्यक्ति साल में 117 घंटे सिर्फ ट्रैफिक जाम में फँसा रहता है। यहाँ तक कि 10-15 किलोमीटर की दूरी तय करने में 6 से 7 घंटे तक लग जाते हैं। सड़कें चौड़ी करना क्यों है मुश्किल? शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि अब शहर में सड़कों को चौड़ा करना करीब असंभव है। इसका मुख्य कारण जमीन की बहुत ज़्यादा कीमतें हैं, जो कई इलाकों में 10,000 रुपये प्रति वर्ग फुट से भी अधिक हैं। सरकार के लिए इन जगहों पर ज़मीन का अधिग्रहण करना बहुत मुश्किल है। इस विकट समस्या का समाधान बताकर शिवकुमार ने कहा कि अब केवल डबल-डेकर फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर ही एकमात्र रास्ता हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह का एक फ्लाईओवर मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने पुणे का दौरा करने के बाद रागिगुड़ा से सिल्क बोर्ड तक बनवाया था, जो बहुत सफल रहा। आशीष दुबे / 15 अगस्त 2025