नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद में गुड़ को औषधीय चीनी की संज्ञा दी गई है और इसे हजारों वर्षों से चिकित्सा में उपयोग किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय भी गुड़ के नियमित और सीमित सेवन को स्वास्थ्यवर्धक मानता है। गुड़ में जिंक, मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। इसे तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, शुंठी और मुनक्का के साथ मिलाकर बनाए गए हर्बल काढ़े में डालकर पीने से सर्दी-जुकाम, खांसी और थकावट जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देते हैं और मौसम के बदलाव के दौरान संक्रमण से बचाव करते हैं। गुड़ को चीनी के मुकाबले कहीं ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह शरीर में धीरे-धीरे ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, बशर्ते इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए। इसके एंटी-एलर्जी गुण फेफड़ों में सूजन और एलर्जी को कम करने में मदद करते हैं, जिससे सांस संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है। साथ ही, यह गले के संक्रमण, खांसी और शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए भी उपयोगी है। गुड़ से बनी चाय या हर्बल काढ़ा न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि थकान भी दूर करता है और मानसिक स्फूर्ति लाता है। यह पाचन क्रिया को सुधारता है, खून को साफ करता है और एनीमिया के खतरे को कम करता है। इसमें मौजूद आयरन हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा गुड़ उत्पादक देश है और यहां इसकी पारंपरिक चिकित्सा में विशेष जगह है। विशेषज्ञ मानते हैं कि गुड़ को गर्म रूप में हर्बल चाय या काढ़े के साथ लेना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसकी मिठास न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि सेहतमंद भी है। जहां एक ओर चीनी को धीमा जहर कहा जाता है, वहीं गुड़ एक ऐसी प्राकृतिक मिठास है जो शरीर के लिए लाभकारी मानी जाती है। यह केवल स्वाद ही नहीं बढ़ाता, बल्कि सेहत को भी मजबूती प्रदान करता है। सुदामा/ईएमएस 16 अगस्त 2025