पाक तबर्रुकात की जियारत जबलपुर, (ईएमएस)। मखदूमे जबलपुरी आले रसूल औलादे इमामे हुसैन हुजूर सैयदना सरकार शहीदे मिल्लत अल्लामा सैयद अब्दुल वदूद कादरी सूफी रब्बानी रह. और कुतुबे जबलपुरी हुजूर मसीहे मिल्लत हजरत अल्लामा अल्हाज सैयद मो. दाऊदुल कादरी जाने मसीह नश्तर रब्बानी रह. का सालाना उर्स दरबारे रब्बानी में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जुमा को एक शाही जुलूस निकाला गया और दूर-दूर से आए अकीदतमंदों ने अपनी अकीदत पेश की। दरबारे रब्बानी जबलपुर के सज्जादानशीन हजरत अल्लामा मुफ्ती सैय्यद मोहम्मद फैजानुर्रब अमजद रब्बानी साहब की अगुवाई में जुमा को दोपहर 3 बजे खानकाह-ए-मशाइख-ए-रब्बानियां में कुरान ख्वानी, नात और मनकबत ख्वानी हुई। इसके बाद, दोपहर 4.30 बजे खानकाह-ए-मशाइख-ए-रब्बानियां शरफाबाद आनंद नगर से शाही जुलूस-ए-चादर व संदल रवाना हुआ। जुलूस शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए दरबारे रब्बानी मंडी मदार टेकरी पहुंचा, जहां शहर के लोगों के साथ-साथ पूरे भारत से आए सैकड़ों अकीदतमंदों ने चादरें और फूल पेश किए। इस अवसर पर बगदाद शरीफ, अजमेर शरीफ, नागपुर शरीफ, लुथरा शरीफ, सहाबी-ए-रसूल हजरत तमीम अंसारी (चेन्नई) और हजरत कमर अली दरवेश (अंबरनाथ) के दरबारों से भी चादरें पेश की गईं। शाम को मगरिब की नमाज के बाद हल्का-ए-जिक्र-ए-कादरिया और दुआ-ए-खैर हुई। रात 9 बजे से खानकाह-ए-मशाइख-ए-रब्बानियां में एक ऑल इंडिया तरही, बज्मे, मुसालमा व मनकबती मुशायरा का आयोजन किया गया। इस मुशायरा की अध्यक्षता प्रोफेसर वाहिद नजीर साहब (दिल्ली) ने की और निजामत गुलाम मुस्तुफा जामी (सीवान) ने संभाली। इसमें भारत के जाने-माने शायरों ने शिरकत की और अपने कलाम पेश किए। शनिवार को दोपहर 12 बजे दरबारे रब्बानी मंडी मदार टेकरी में नात ख्वानी, मनकबत ख्वानी और शिजरा ख्वानी का आयोजन हुआ। दोपहर 1.20 बजे आखरी कुल शरीफ और लंगर का वितरण किया गया। मगरिब की नमाज के बाद खानकाह-ए-मशाइख-ए-रब्बानियां में हल्का-ए-जिक्र-ए-कादरिया और दुआ-ए-खैर हुई। शाम 7 बजे से 9 बजे तक लंगर-ए-इमाम आली मकाम का आयोजन किया गया। रात 9.30 बजे चार खंबा बारात घर में ऑल इंडिया शहीदे आजम कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें देश भर से आए उलमा-ए-किराम और शोअरा-ए-किराम ने शिरकत की। अल्लामा मौलाना जुनैद जमाली, शान-ए-दक्कन हजरत अल्लामा शागिल इमाम साहब (हैदराबाद) और खतीब-ए-यूरोप हजरत अल्लामा नूर आलम नूर कादरी साहब (सहरसा) जैसे प्रमुख वक्ताओं ने तकरीरें पेश कीं। इस दौरान शायरों ने भी अपने नातिया कलाम पढ़े। सुनील साहू / शहबाज/ 17 अगस्त 2025/ 06.30