रांची(ईएमएस)।किशोर-किशोरियों में स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने और उन्हें सकारात्मक दिशा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड की ओर से पहली बार उमंग दिवस की शुरुआत की जा रही है। राज्य भर के सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्रत्येक माह के पहले शनिवार को इस दिवस का आयोजन होगा।इस कार्यक्रम की तैयारियों, जागरूकता और समन्वय को लेकर सोमवार को नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान सभागार में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कन्सल्टेशन की शुरुआत हुई।राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम और यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में एनएचएम के विभिन्न कोषांगों के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परामर्शी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, अर्श काउंसलर, पियर एजुकेटर, शिक्षा विभाग, जेएसएलपीएस, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधि और डेवलपमेंट पार्टनर्स शामिल हुए।अभियान निदेशक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि किशोरावस्था जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दौर है।इसी समय पर अच्छे और बुरे रास्ते की पहचान होती है।उन्होंने कहा कि बीमार होने से बेहतर है कि किशोर स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर निरोग रहे।उन्होंने आशा, आंगनबाड़ी सेविका, एएनएम और एडोलसेंट एजुकेटर की भूमिका को अहम बताया।इस मौके पर उमंग दिवस से संबंधित पोस्टर और मार्गदर्शिका का लोकार्पण भी किया गया।मातृत्व कोषांग की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ पुष्पा ने कहा कि किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति, मोबाइल एडिक्शन, बाल विवाह और टीन एज प्रेग्नेंसी के मामले बढ़ रहे हैं।इन पर संवाद और परामर्श की जरूरत है।शिशु स्वास्थ्य कोषांग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ एल. आर. पाठक ने कहा कि बदलती जीवनशैली के बीच किशोरों की निरंतर स्क्रीनिंग जरूरी है। आईईसी कोषांग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ लाल मांझी ने तनाव और मोटापे की समस्या को गंभीर बताया।कार्यक्रम में डॉ कमलेश और डॉ बिरेन्द्र कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे। संचालन राज्य कार्यक्रम समन्वयक अकय मिंज ने किया। वहीं राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की राज्य समन्वयक रफत फरजाना ने कार्यक्रम से संबंधित जानकारी पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत की। कर्मवीर सिंह/25अगस्त/25