- मनोबल को तोडऩे के लिए की गई है मनगढ़ंत और झूठी शिकायत: अनुभा मुंजारे - 7 सितंबर को न्यायालय में दर्ज कराएंगे मानहानि का प्रकरण बालाघाट (ईएमएस)। मेरे मनोबल को तोडऩे के लिए मनगढ़ंत और झूठी शिकायत करवाई गई है। इसमें डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को मोहरा बनाया गया है। यह साजिश पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के बंगले में रची गई है। यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग सदस्य मौसम बिसेन के ईशारे पर यह कार्य किया जा रहा है। यह विपक्ष को दबाने का प्रयास है। पूर्व मंत्री बिसेन के ईशारे पर ही डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के पत्र को वायरल कराया गया है। यह आरोप बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे ने लगाए है। गुरुवार को विधायक मुंजारे स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा कर रही थी। पत्रकारों से चर्चा के दौरान विधायक मुंजारे ने बताया कि यह एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के विशेष अधिकार हनन का मामला है। इस मामले को लेकर 7 सितंबर को न्यायालय में मानहानि का प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीते दिनों उनके विधानसभा क्षेत्र सोनेवानी वन परिक्षेत्र में 27 जुलाई को एक बाघ की मौत हो गई थी। डीएफओ नेहा श्रीवास्तव के पति डीएफओ अधर गुप्ता द्वारा बगैर प्रोटोकॉल के बाघ के शव का दाह संस्कार 29 जुलाई को करा दिया गया। जिसकी शिकायत उन्होंने मध्यप्रदेश विधानसभा के पटल पर 5 अगस्त को ध्यानाकर्षण व शून्यकाल के माध्यम से उठाया था। इस विधानसभा प्रश्न के बाद डीएफओ अधर गुप्ता के खिलाफ जांच चल रही है। बाघ की मौत के मामले में जिम्मेदारों पर की थी कार्यवाही की मांग विधायक मुंजारे ने बताया कि बाघ की मौत के मामले में जिम्मेदारों पर कार्यवाही किए जाने के लिए उन्होंने बालाघाट के तीन विधायकों के साथ राज्य मंत्री वन विभाग और प्रधान मुख्य वन संरक्षण के वन बाल प्रमुख भोपाल से 5 अगस्त को ही मुलाकात की थी। इस मामले में एसआईटी का गठन कर जिम्मेदार अधिकारी की निलंबन की मांग की गई थी। 16 अगस्त को उन्हेांने जिले के प्रभारी मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से मुलाकात डीएफओ अधर गुप्ता को हटाने की मांग की थी। इन्हीं बौखलाहट से डीएफओ नेहा श्रीवास्तव द्वारा अनर्गल व झूठी शिकायत की जा रही है। प्रतिबंध के बाद भी डीएफओ ने किया तबादला विधायक अनुभा मुंजारे ने बताया कि दक्षिण वन मंडल उत्पादन में प्रतिबंध के बाद भी डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने कर्मचारियों का तबादला कर दिया। जबकि बगैर प्रभारी मंत्री के अनुशंसा के स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। डीएफओ ने 24 सितंबर 2023, 12 अगस्त 2024 और 28 अक्टूबर 2024 को नियम विरुद्ध वनकर्मियों का एक परिक्षेत्र से दूसरे परिक्षेत्र में तबादला किया है, जिसकी शिकायत पूर्व में की गई है। उन्होंने बताया कि एक डीएफओ प्रभारी मंत्री के अधिकारों का उपयोग कैसे कर सकती है? उन्होंने इस मामले की जांच कर डीएफओ पर कार्यवाही की मांग की है। शहडोल में पदस्थापना के दौरान सीसीएफ पर लगाए थे झूठे आरोप विधायक मुंजारे ने बताया कि बालाघाट में पदस्थापना से पूर्व डीएफओ नेहा श्रीवास्तव शहडोल में पदस्थ थी। इस दौरान डीएफओ ने शहडोल सीसीएफ प्रभात कुमार वर्मा पर ऑफिस में बुलाकर बुरी नजर से देखने और अश्लील बातें करने का झूठा आरोप लगाया था। शिकायत के बाद इस मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारी रेणु सिंह ने की थी। जांच में डीएफओ नेहा श्रीवास्तव को दोषी पाया गया था। जिसके बाद उनका तबादला बालाघाट में किया गया है। बालाघाट में भी डीएफओ नेहा श्रीवास्तव एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि पर झूठा आरोप लगा रही है। आयुक्त ने भी डीएफओ अधर गुप्ता की कार्यप्रणाली पर उठाए थे सवाल वर्ष 2020 में अधर गुप्ता उत्तर शहडोल में बतौर डीएफओ सेवारत थे। इस दौरान उनकी कार्यप्रणाली भी बेहतर नहीं थी। विधायक मुंजारे ने बताया कि आयुक्त राजीव शर्मा ने प्रमुख सचिव मप्र शासन अशोक वर्णवाल को 20 मई 2020 को एक पत्र लिखा था, जिसमें उल्लेख किया गया था कि मुख्य वनसंरक्षक शहडोल ने डीएफओ अधर गुप्ता के बारे में जो तथ्य बताए गए थे वे अत्यंत गंभीर किस्म के है। कलेक्टर शहडोल ने भी डीएफओ गुप्ता का कार्य व्यवहार शोभनीय नहीं होने का उल्लेख किया। वे शासकीय बैठकों में आना उचित नहीं समझते और न ही अपने शासकीय कर्तव्यों के निर्वहन में कोई तत्परता प्रकट करते हैं। इसका दुष्प्रभाव जिले की वन संपदा पर भी पड़ रहा है। उनकी सामान्य छवि मनमर्जी से काम करने और मद्यपान में लिप्त रहने की है। ऐसी स्थिति में उनके स्थान पर किसी बेहतर अधिकारी को पदस्थ किए जाना ही उचित होगा। भ्रष्टाचार के जांच की मांग विधायक अनुभा मुंजारे ने जिले में वन विभाग में तीन वर्षों में हुए भ्रष्टाचार के जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र जुलाई-अगस्त 2025 में 1 अगस्त को तारांकित प्रश्न लगाया गया था। जिसमें वनमंडलाधिकारियों द्वारा पिछले तीन वर्षों में शासकीय भवनों के रखरखाव व मरम्मत कोई कार्य नहीं कराया गया। रखरखाव व मरम्मत के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई गई। चहेते ठेकेदार के साथ मिलकर लिपिक विजेंद्र श्रीवास्तव के माध्यम से फर्जी बिल वाउचर लगाकर राशि का आहरण कर लिया गया। इस मामले की निष्पक्ष जांच होने पर वास्तविकता सामने आ जाएगी। मौसम के लिए कटोरा लेकर मांगा आयोग सदस्य का पद विधायक मुंजारे ने कहा कि जिले में भाजपा की राजनीति केवल बिसेन परिवार तक ही सिमटकर रह गई है। गौरीशंकर बिसेन ने अपनी बेटी मौसम बिसेन के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग सदस्य का पद कटोरा लेकर मांगा था, जो उन्हें मिल गया। ताकि मौसम बिसेन को प्रोटोकॉल मिलते रहे। जबकि भाजपा में ऐसे अनेक दिग्गज और वरिष्ठ नेता हैं, जो आयोग के सदस्य बन सकते हैं। लेकिन पूर्व मंत्री बिसेन ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं। सांसद, विधायक या जिला पंचायत के चुनाव में भी वे ही टिकट के लिए आगे आ जाते हैं। भाजपाईयों के कृत्य पर कहां थी भाजपा नेताओं की नैतिकता ? विधायक मुंजारे ने कहा कि आयोग सदस्य मौसम बिसेन उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा की मांग करती है। उन्होंने उल्टे ही भाजपा नेताओं से सवाल किया कि जब तत्कालीन भाजयुमो जिला अध्यक्ष भूपेन्द्र सोहागपुरे ने एक अनुसूचित जाति की युवती का शारीरिक व मानसिक शोषण किया, सरकार के एक केबिनेट मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर में शामिल एक महिला अधिकारी के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की, एक मंत्री ने भारतीय सेना के खिलाफ गलत बयानबाजी की, तब भाजपा नेताओं की नैतिकता कहां गई थी। इतना ही नहीं जिले के दुगलई गांव में आदिवासी बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई तो किसी भी भाजपा नेता ने कोई बयान नहीं दिया। बावजूद इसके भाजपा नेता नैतिकता की बात करते हैं।