सेंटर पर सिर्फ एमपी के पीड़ितो की रकम वापसी के लिये की जायेगी मदद - अब तक 70 करोड़ रुपये सायबर ठगो के पास जाने से बचाये जा चुके है भोपाल(ईएमएस)। इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) की तरह ही पहली बार मध्य प्रदेश पुलिस ने खुद का साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर शुरू किया है। खास बात यह है की इस सेंटर में केवल एमपी के सायबर ठगी के शिकार पीड़ितो की मदद करते हुए उनी होल्ड की गई बैंक खातों की रकम रिलीज करवाने की प्रक्रिया पर काम होगा। जानकारी के मुताबिक ठगी के दो घंटे के भीतर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाने वाले एमपी के पीड़ितो से इस सेंटर की टीम खुद संपर्क करते हुए एक फॉर्म देगी जिसे लोकल थाने में जमा करना होगा। फरियादी को उसकी ठगी गई रकम वापस दिलवाने के लिये आगे की प्रक्रिया संबधित थाने के स्टाफ से पूरी करवाई जायेगी। करीब एक महीने पहले शुरू हुए इस सेंटर की मदद से अब तक करीब 70 करोड़ रुपए साइबर ठगों के पास से जाने से बचाए जा चुके हैं। एसपी स्टेट साइबर अफसरो ने बताया की डिपो चौराहा स्थित साइबर मुख्यालय शुरु किये गये इस मिटिगेशन सेंटर में नियुक्त करने के लिये सब-इंस्पेक्टर स्तर के 4 ऐसे पुलिसकर्मियों का इंटरव्यू के आधार पर चयन कर नियुक्त किया गया है, जो हिंदी-अंग्रेजी भाषा अच्छे से जानते हों। मप्र में एनसीआरपी या 1930 हेल्पलाइन नंबर के जरिए रोजाना करीब 1100-1200 शिकायतें दर्ज होती हैं। साइबर फ्रॉड की शिकायत होने पर उसकी जानकारी संबंधित प्रदेश की साइबर पुलिस को नजर आने लगती है। अब - मप्र के किसी जिले से कोई शिकायत करता है तो उसकी जानकारी मप्र साइबर पुलिस को दिखने लगती है। यह शिकायत अब मिटिगेशन सेंटर की मप्र टीम देखेगी। अधिकारियो ने बताया की सायबर ठगी के मामलो में ठगी की रकम को होल्ड करवाने के लिये शुरुआती दो घंटे काफी महत्वपूर्ण है। यदि इस बीच पीड़ित द्वारा शिकायत की गई तो टीम फौरन एक्टिव होकर रकम को होल्ड करवा सकती है, जिससे वो ठगोरो के पास नहीं पहुचं सकती और बाद में फरियादी को वापस मिल सकती है। जुनेद / 18 सितंबर