05-Sep-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में यमुना नदी का पानी लगातार बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं और राहत शिविरों तक में पानी घुस गया है। इससे वहां रह रहे लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। अब उन पर वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। पुराने रेलवे पुल (लोहा पुल) पर सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच यमुना नदी का जलस्तर 207। 47 मीटर पर पहुंच गया। शाम 7 बजे तक यह घटकर 207. 42 मीटर रह गया। बाढ़ विभाग के अनुमान के मुताबिक शुक्रवार सुबह तक जलस्तर और घटकर 207. 30 मीटर तक पहुंच सकता है। सबसे ज्यादा मुश्किल सिविल लाइंस इलाके में हो रही है, जहां उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आवास हैं। यहां सड़कें नालों में बदल गई हैं और घरों में गंदा पानी घुस गया है। दिल्ली सचिवालय और वासुदेव घाट के आसपास के इलाके भी डूब गए हैं। यही वजह है कि प्रशासन को सड़क यातायात को वैकल्पिक रास्तों पर मोड़ना पड़ा। मयूर विहार फेज-1 और यमुना बाजार में बने राहत शिविरों में पानी घुस गया। इन शिविरों में पहले से बाढ़ पीड़ित लोग रह रहे थे। अब हालात और खराब हो गए हैं। विपक्षी दलों ने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं और कहा कि राहत शिविरों का जलमग्न होना प्रशासनिक नाकामी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर इलाके में तीसरे पुश्ते पर कुछ लोग और उनके पालतू जानवर फंस गए थे। इस दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने बचाव कार्य करने से इनकार कर दिया। बाद में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) और बोट क्लब की टीम ने सभी गायों और लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। मजनू का टीला इलाका भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां के रेस्तरां मालिक अपने दफ्तरों में सोने को मजबूर हैं। टैटू पार्लर की मशीनें खराब हो गई हैं, सैलून और स्पा के उपकरण काम नहीं कर रहे और कपड़ों की दुकानें बंद पड़ी हैं। कारोबारियों का कहना है कि लाखों का नुकसान हो चुका है। अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/05/ सितंबर /2025