ठाणे, (ईएमएस)। महाराष्ट्र सरकार ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त कदम उठाते हुए गणेश विसर्जन के दौरान डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया है। नतीजतन, महाराष्ट्र की संस्कृति में शामिल पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मांग बढ़ गई है। इससे इन कलाकारों को डीजे से खोया हुआ कारोबार फिर से मिल गया है। महाराष्ट्र की संस्कृति का अभिन्न अंग बुलबुल, कैसियो, ढोल, ताशा, झांझ जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र अब गणेश विसर्जन कार्यक्रमों में फिर से दिखाई दिए। दरअसल, गृह विभाग ने ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस साल गणेश आगमन और विसर्जन उत्सवों के दौरान ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले डीजे की आवाज सुनाई नहीं दी। सड़कों पर पुलिस की कड़ी मौजूदगी और कानून के डर के कारण, इस साल घरेलू और गणेशोत्सव मंडलों ने डीजे नहीं बजाए। इससे शहनाई, तुतारी, ढोल, ताशा, बैंजो जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मांग अचानक बढ़ गई। इससे कलाकारों को बड़ी संख्या में अवसर मिले। दरअसल डीजे की तेज आवाज कान के पर्दों को नुकसान पहुंचाती है। सुनने की क्षमता में स्थायी कमी हो सकती है या बहरापन हो सकता है। लगातार तेज़ आवाज़ के संपर्क में रहने से कानों में बजने या भिनभिनाने की आवाज़ आ सकती है। अगर इलाज न कराया जाए, तो यह स्थिति बनी रह सकती है। तेज़ आवाज़ मानसिक तनाव, बेचैनी और चिड़चिड़ापन बढ़ाती है। साथ ही, तेज़ आवाज़ हृदय पर दबाव डालती है। ये उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ाती हैं। तेज़ आवाज़ नींद को भी प्रभावित कर सकती है और अनिद्रा का कारण बन सकती है। डीजे का तेज़ शोर गर्भवती महिलाओं में तनाव बढ़ा सकता है। इससे माँ और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीजे का शोर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में स्थायी बहरेपन का कारण बन सकता है। इस बीच, शनिवार को ठाणे में गणपति बप्पा का विसर्जन भावुक माहौल में हुआ। प्रतिदिन बड़े उत्साह से गणेश की पूजा करने वालों के चेहरे बप्पा के विदा होने से मुरझाए हुए दिखाई दिए। दिलचस्प बात यह है कि विसर्जन के दिन शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने भक्तों के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा, भोजन और नाश्ते की व्यवस्था की थी। गणेशोत्सव के अवसर पर विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे। उन्होंने प्रशासन की भरपूर मदद की। कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन तक खाना और नाश्ता लेकर गए। कार्यकर्ताओं ने ठाणे के खाड़ी तालाब और विसर्जन क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध कराई। पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवकों, वाद्य यंत्र वादकों और वाहन चालकों को भी इस निःशुल्क सुविधा का लाभ मिला। स्वेता/संतोष झा- ०७ सितंबर/२०२५/ईएमएस