- हर साल 800 करोड़ से अधिक की अवैध कमाई-विवेक त्रिपाठी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसटीएफ से जांच कराने की मांग भोपाल(ईएमएस)। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने एक पत्रकारवार्ता में मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी (एम.डी./एम.एस./एम.डी.एस.) कोर्सों में एनआरआई कोटे से हो रहे एडमिशन में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये है। मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने पत्रकारवार्ता में बताया की शासन और निजी चिकित्सा महाविद्यालय एवं विवि के संचालकों की मिलीभगत से हर साल 800 से 1 हजार करोड़ रुपए की अवैध कमाई इस फर्जीवाड़े से की जा रही है। अवैध कमाई में से शिक्षा माफिया विभाग के बड़े अधिकारियों समेत विभागीय मंत्री को भी हिस्सा पहुंचाते हैं, जिससे हर बार छात्रों और छात्र संगठनों की शिकायतों को दबा दिया जाता हैं। इससे मध्यप्रदेश के गरीब और मेधावी छात्र-छात्राओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने 29 अगस्त को मुख्य सचिव समेत लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त को शिकायत भी की हैं। संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में काउंसलिंग प्रक्रिया में जानबूझकर गड़बड़ी की जाती है। पैसे लेकर मनमाने ढंग से प्रवेश दिए जाते हैं। उनका यह भी आरोप है कि निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेज पैसे लेकर छात्रों को नकली एनआरआई सर्टिफिकेट उपलब्ध कराते हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा था, कि केवल माता-पिता, सगे भाई-बहन, चाचा-चाची, मामा-मामी, दादा-दादी, नाना-नानी ही स्पॉन्सर कर सकते हैं। लेकिन यहां कोई भी व्यक्ति पैसे लेकर स्पॉन्सर बन जाता है। उन्होनें मांग करते हुए कहा की मध्य प्रदेश में एनआरआई कोटे से प्रवेश लेने वाले छात्रों और उनके स्पॉन्सर के बैंक अकाउंट की जाँच की जाएगी तो फर्जीवाडा उजाकर हो जाएगा। दूसरे राज्यों से 10वीं-12वीं पढ़े छात्रों को फर्जी मध्य प्रदेश का “मूल निवासी प्रमाण पत्र” बनवाकर मोटी रकम लेकर मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में प्रवेश दिया जा रहा है। जबकि नियमानुसार मध्यप्रदेश के मूल निवासी को ही एडमिशन में प्राथमिकता देनी हैं, यदि सीटें रिक्त रह जाती हैं तब दूसरे राज्यों के छात्र छात्राओं को प्रवेश देना हैं। इससे मध्य प्रदेश क मूलनिवास छात्रों का नुकसान हो रहा है। जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि फर्जी एनआरआई से एडमिशन के कारण एमपी के छात्रों जिसमे एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्ग के मेधावी छात्रों को सीटें नहीं मिल पा रही हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। डीएमई द्वारा कहा गया कि एनआरआई प्रमाण पत्र एंबेसी से सत्यापित होंगे, जबकि एंबेसी से सत्यापित होने के साथ ही नियम अनुसार सत्यापन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्राध्यपक/अधिकारी/काउंसलिंग प्रतिनिधि द्वारा होना चाहिए और सभी दस्तावेज वेबसाइट पर सार्वजनिक होने चाहिए परंतु निजी चिकित्सा महाविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए लेने के लिए ऐसा नहीं किया जा रहा हैं। विवेक त्रिपाठी ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में एन.आर.आई. सीटें सिर्फ क्लिनिकल ब्रांच (जैसे डर्मेटोलॉजी, रेडियोलॉजी, मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, गायनी, जनरल सर्जरी आदि) जिनमे सबसे ज्यदा एडमिशन होते है उनमे ही एन.आर.आई. सीटें में रखी जाती हैं, ताकि ज्यादा पैसे वसूले जा सकें। एनएसयूआई पदाधिाकारियो ने मांग की है की सभी पूर्व में एनआरआई कोटे से प्रवेश लेने वाले छात्रों के दस्तावजो की जाँच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसटीएफ से करवाई जाये। और दोषी निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रबंधन व संबंधित अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। एनएसयूआई ने कहा कि यह घोटाला प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो एनएसयूआई छात्रहित में सड़क से सदन तक उग्र आंदोलन करेगा। और जरुरत पड़ने पर हाई कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएगें। जुनेद / 8 सितंबर