अंतर्राष्ट्रीय
09-Sep-2025
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बर्मिंघम (ईएमएस)। उम्र बढ़ने के साथ देर से नाश्ता करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है और यह धीरे-धीरे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेतक हो सकता है। यह दावा किया है अमेरिका के मैस जनरल बर्मिंघम के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में। स्टडी में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक हसन दश्ती ने बताया कि भोजन के समय, खासकर नाश्ते का समय, बुजुर्गों की समग्र स्वास्थ्य स्थिति का एक अहम संकेत देता है। शोध में 64 वर्ष की औसत आयु वाले लगभग 3,000 ब्रिटिश निवासियों के डेटा और रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया गया। प्रतिभागियों से भोजन और नींद की आदतों के बारे में जानकारी ली गई। नतीजों से स्पष्ट हुआ कि लोग औसतन सुबह 8:22 बजे नाश्ता, दोपहर 12:38 बजे लंच और शाम 5:51 बजे डिनर करते हैं। करीब 20 साल तक चली इस स्टडी में यह देखा गया कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, भोजन के समय में कुछ मिनटों की देरी दर्ज की गई। शोध से यह भी सामने आया कि लगातार देर से नाश्ता करने वाले लोगों की 10 साल की सर्वाइवल दर 86.7प्रतिशत रही, जबकि जल्दी नाश्ता करने वालों में यह आंकड़ा 89.5प्रतिशत रहा। देर से खाने की आदत जैविक घड़ी (सर्कैडियन रिद्म) को प्रभावित करती है, जिससे शुगर लेवल और स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नाश्ते में देरी मानसिक थकान, डिप्रेशन, दांत और मुंह की समस्याओं, दिनभर सुस्ती और यहां तक कि समय से पहले मौत के खतरे को भी बढ़ा सकती है। दश्ती के मुताबिक, मरीजों और डॉक्टरों को भोजन समय में बदलाव को प्रारंभिक चेतावनी संकेत के रूप में लेना चाहिए। विशेषज्ञों की राय है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर की जैविक घड़ी ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। ऐसे में सुबह समय पर नाश्ता करना न केवल ऊर्जा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दीर्घायु की कुंजी भी साबित हो सकता है। इस स्टडी के आधार पर सुझाव दिया गया है कि खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को रोज़ाना तय समय पर नाश्ता करना चाहिए। हल्का और पौष्टिक नाश्ता उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रख सकता है। सुदामा/ईएमएस 09 सितंबर 2025