इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस जय कुमार पिल्लई की युगल पीठ ने एक याचिका सुनवाई करते प्रदेश के अपर मुख्य सचिव और नर्मदा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. राजेश राजौरा को सात दिन का समय देते कोर्ट में तलब होने का आदेश दिया है। याचिका सरदार सरोवर परियोजना के शिकायत निवारण प्राधिकरण में खाली पदों पर भर्ती नहीं होने को लेकर दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते युगल पीठ ने यह आदेश दिया। युगल पीठ ने अपने आदेश में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव और नर्मदा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. राजेश राजौरा को 7 दिन का समय दिया है। इसमें नियुक्ति हुई तो उन्हें कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंने से छूट रहेगी, अन्यथा उन्हें स्वयं पेश होगा इसका कारण बताना होगा। याचिका के बारे में एडवोकेट प्रत्युष मिश्रा के अनुसार संक्षेप में इस प्रकार है कि सरदार सरोवर परियोजना में प्रभावितों से जुड़े मामले और शिकायतों के निराकरण के लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा शिकायत निवारण प्राधिकरण बनाया गया है। इसमें एक चेयरमैन सहित चार सदस्यों की नियुक्ति की जानी है। लेकिन ये पद खाली हैं। इसके चलते हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। हालांकि इनकी सुनवाई के दौरान पूर्व में कुछ पदों पर नियुक्ति की गई, लेकिन सितंबर 2024 से सभी पद खाली है। इससे 5 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित है। हाईकोर्ट में 5 अगस्त को सुनवाई के दौरान एनवीडीए उपाध्यक्ष डॉ. राजौरा पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पिछली बार एक ही दिन एक साल के लिए नियुक्ति की गई थी। इससे एक ही दिन सारे पद खाली होने से प्राधिकरण का बोर्ड खत्म हो गया। उन्होंने प्रक्रिया जारी होने व जल्द नियुक्ति का भरोसा दिया था। तब कोर्ट ने नियुक्ति हेतु एक माह का समय दिया था। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब पूछा कि पिछले आदेश के पालन में क्या किया गया है तो सरकारी वकील ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने कारण पूछा तो भी सरकारी वकील सही तरह से जवाब नहीं दे पाए। इस पर कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा कि डॉ. राजौरा 15 सितंबर को कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हों और बताएं कि 5 अगस्त के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया? अब याचिका पर अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी। आनन्द पुरोहित/ 09 सितंबर 2025