मुम्बई (ईएमएस)। पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने कहा है कि महेन्द्र सिंह धोनी के आने के बाद से ही उनके लिए टीम में जगह बनाना कठिन हो गया। इसी कारण उन्हें अलग-अलग भूमिकाओं में उतरना पड़ा। कार्तिक ने साल 2004 में धोनी से तीन माह पहले भारतीय टीम की ओर से पदार्पण किया था पर शुरुआती कुछ मैचों के बाद ही धोनी के टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में अपनी जगह बना ली। जिससे उनके लिए जगह हासिल करना कठिन हो गया था। हाल ही में एक कार्यक्रम में कार्तिक ने पुरानी बातों को याद कर कहा कि धोनी ने अपने करियर की शुरुआत में अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया था। कार्तिक ने कहा, मैंने उन्हें ज्यादा खेलते नहीं देखा था पर केन्या में उस ए सीरीज के दौरान, हर कोई एक खिलाड़ी की चर्चा कर रहा था, क्योंकि वह कुछ नया लेकर आया था। जिस ताकत से वह गेंद को मारता था, लोगों का कहना था कि उन्होंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। कुछ तो उनकी तुलना गैरी सोबर्स से भी कर रहे थे, जो अपने लंबे छक्कों के लिए जाने जाते थे। तब धोनी की तकनीक बिल्कुल अलग थी और वह गेंद को इतनी जोर से मार रहे थे जितना लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था। उस समय यही चर्चा थी। कार्तिक ने कहा, उस समय भारत राहुल द्रविड़ को विकेटकीपर के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर रहा था। लेकिन द्रविड़ ने बाद में ये भूमिका निभाने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा, मैं केवल अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहता हूं। विकेटकीपिंग करने में मेरा शरीर बहुत मेहनत कर रहा है। इसलिए टीम ने एक अच्छे विकेटकीपर की तलाश शुरू कर दी। इसी दौरान मुझे विकेटकीपिंग का अवसर मिला पर धोनी के आने के बाद हालात बदल गये। इसके बाद मुख्य विकेटकीपर की जिम्मेदारी उन्हें मिलने लगी। जब वह आए, तो उन्होंने सभी को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया। बहुत जल्द, वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी छा गये थे। इस क्रिकेटर ने कहा, जब ऐसा कोई खिलाड़ी सामने आता है, तो आपको स्वयं से पूछना चाहिए कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ रूप सामने लाने के लिए क्या कर सकता हूं? इसलिए मैं अलग- अलग भूमिका में आने लगा। कहीं शुरुआती बल्लेबाज की जगह होती तो मैं उसके लिए पहुंच जाता था। इसी तरह मध्य क्रम में कोई जगह खाली होती, तो मैं वहाँ बल्लेबाजी करने का अनुरोध करता और हमेशा टीम में जगह बनाने के तरीके तलाशता रहा पर मेरे लिए उस जगह को बचाए रखना आसान नहीं था। मैं खुद पर इतना दबाव डालता था कि कई बार, मैं उस जगह के साथ न्याय नहीं कर पाता था जिसकी वास्तव में जरूरत थी। उन्होंने आगे कहा, उस सफर में जो भी आपके सामने आए, उसके साथ तालमेल बिठाने का महत्व सीखा, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी, दृढ़ संकल्प और लचीलेपन की जरूरत। मैंने लगातार ऐसे काम किए जो ज्यादातर खिलाड़ियों के लिए असहज थे, जैसे अपने करियर के आखिरी पांच सालों में छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करना। लेकिन मैंने उस भूमिका को अपनाया और उसमें सफलता पाने के लिए अपनी खूबियों का इस्तेमाल किया। गिरजा/ईएमएस 09 सितंबर 2025