काठमांडू (ईएमएस)। नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जेट के नेतृत्व वाले प्रदर्शन ने सोमवार को बड़ा रूप ले लिया। काठमांडू समेत कई शहरों में हुए इस विरोध-प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। स्थिति उस समय नियंत्रण से बाहर हो गई, जब प्रदर्शनकारी नेपाल की संसद भवन के अंदर घुस गए। संसद परिसर में घुसे युवाओं ने नारेबाजी के साथ तोड़फोड़ भी की। इसके बाद हालात बिगड़ते देख सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। नेपाल में संसद पर इस तरह का हमला अभूतपूर्व माना जा रहा है, हालांकि विश्व राजनीति में यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी कई देशों में इस तरह की स्थिति देखने को मिली है। बता दें साल 2021 में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी हार के बाद उनके समर्थक वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में घुस गए थे। जानकारी के मुताबिक ट्रंप के एक सोशल मीडिया पोस्ट से भड़के समर्थकों ने संसद पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद कई लोगों की मौत हुई। इस घटना के बाद ट्रंप और उनके समर्थकों के सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए गए थे। साल 2023 में ब्राजील में भी ऐसा ही देखने को मिली था। जब चुनावी धांधली के आरोप लगाते हुए पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने संसद भवन में घुसपैठ कर थी। इस दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक संसद में हंगामा किया था, जिसके बाद बल प्रयोग कर उन्हें बाहर निकाला गया था। साल 2022 में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला था। आर्थिक तंगी समेत कई मुद्दों को लेकर देश की जनता सड़कों पर उतर आई थी और हालात बेकाबू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और पीएम आवास में घुसकर घंटों तक हंगामा और तोड़फोड़ की थी। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों से महंगी चीजें लूट ली थीं। साल 2022 में ही इराक में भी श्रीलंका की तरह स्थिति देखने को मिली थी। बगदाद में शिया नेता मुक्तदा अल सदर के समर्थक पीएम पद के उम्मीदवार का विरोध कर रहे थे। गुस्साए लोगों ने संसद भवन पर कब्जा कर लिया और कई दिनों तक वहां डटे रहे। वहीं भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी अगस्त 2024 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। छात्रों के एक गुट ने शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के लिए राजधानी ढाका समेत कई जिलों में प्रदर्शन किया था। इस दौरान हिंसा भी हुई थी। हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दूसरी तरफ मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई थी। इसके बाद भी वहां से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं। इन सबके अलावा, हांगकांग और जॉर्जिया में भी जनता सरकार के खिलाफ संसद भवन में घुसकर हंगामा कर चुकी है। सिराज/ईएमएस 10 सितंबर 2025