लेख
11-Sep-2025
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सदियों पुरानी कहावत है कि सब कुछ लुटाकर होश में आये तो क्या हुआ।चंद गलतियों के कारण सब कुछ लुट चुका है। वर्तमान परिपेक्ष्य में यह कहावत सटीक बैठती है।16 जून 2025 से हिमाचल में बरसात का कहर मचा हुआ है। यह बरसात निर्बाध रुप से हो रही है। जुलाई,अगस्त दो महीने लगातार बरसात होती रही अब सितंबर माह में भी यह बरसात निरंतर जारी है अब पता नहीं कब तक यह सिलसिला जारी रहेगा यह भविष्य के गर्भ में है। बरसात के कहर ने जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है।हजारों लोग मौत के मुहं में समा चुके हैं।बरसात के रौद्र रुप से हर तरफ तबाही का मंजर हुआ है। आज मानव अपनी करनी पर पछतावा कर रहा है लेकिन अब कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। लाचार व बेसहारा हो चुका मानव अब आंसू बहा रहा है।मानव अपनी गलतियों का नतीजा भुगत रहा है। काश पूर्व में यह गलतियां न की होती तो आज यह दुर्गति ना होती मगर माया में अंधा हो चुका इनसान बेहोश हो चुका था तब तक होश आया सब कुछ तबाह हो गया अब अपने किए कर्मौं का फल प्राप्त कर रहा है। किन्नौर से लेकर भरमौर तक बरसात का कहर बरप रहा है।प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदाएं अपना जलवा दिखाती रहती है तो कभी बाढ का रौद्र रुप जिंदगियां लीलता है।कहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं को रोक तो नहीं सकते परन्तु अपने विवेक व ज्ञान से अपने आप को सुरक्षित कर सकते हैं।देश के हर राज्य में बरसात का कहर बरप रहा है। प्रतिवर्ष लाखों लोग आपदा का दंश झेल रहे हैं।हादसों में लोग अपंग हो रहे हैं बच्चे अनाथ होते जा रहे है।प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करनी होगी तभी इन हादसों पर रोक लग सकती है। अगर अब भी प्रकृति से खिलवाड़ बंद नहीं किया तो मानव को ऐसी सजाएं मिलती रहेगी। आपदाओं से सबक सीखना चाहिए ताकि आने वाले भविष्य को सुऱिक्षत किया जा सके। हर त्रासदी के बाद बचाव पर चर्चा होती है लेकिन ऐसी त्रासदियां रुकती नहीं हैं। प्रकृति के इस विनाशकारी विभीषिका से बहुत मानवीय तबाही हो रही हैं।परिवार के परिवार उजड़ गए हैं। देश के हर गांव व शहर में बरसात का कहर बरपता जा रहा है।प्रकृति ने मानव को समय समय पर आगाह किया लेकिन आधुनिक मानव मनमानी कर रहा है ओर असमय ही काल के गाल में समाता जा रहा है। मानव को इन त्रासदियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।सर्तकता बरतनी चाहिए कुदरत से छेड़छाड़ पूर्ण रुप से बंद करनी होगी तभी इन हादसों पर रोक लग सकती है।समय अभी संभलने का है। (वरिष्ठ पत्रकार ) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 11 ‎सितम्बर /2025