तिरुपति में आयोजित होने जा रहा महिला सशक्तिकरण हेतु विधायी समितियों का सम्मेलन केवल एक औपचारिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की लोकतांत्रिक संरचना में महिला नेतृत्व की वास्तविक भूमिका को रेखांकित करने वाला अवसर है। जब हम विकसित भारत की कल्पना करते हैं तो यह स्पष्ट है कि इस यात्रा में महिलाओं का सक्रिय और निर्णायक योगदान अनिवार्य है। आज हम ऐसे समय में हैं जब महिला नेतृत्व केवल परिवार या समाज की परिधि तक सीमित नहीं है, बल्कि शासन, नीति-निर्माण और विकास की धुरी बन चुका है। पंचायत से संसद तक महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है, लेकिन यह सफर अभी अधूरा है। महिलाएँ निर्णय प्रक्रिया में जब बराबरी का स्थान प्राप्त करेंगी, तभी सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की सच्ची तस्वीर सामने आएगी। सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा होगी – जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग और उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण – वे हमारे समय की सबसे बड़ी जरूरतों को सामने रखते हैं। जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग का अर्थ केवल महिलाओं के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा करना नहीं है, बल्कि हर नीति, हर बजट और हर विकास कार्यक्रम में यह सुनिश्चित करना है कि महिला की वास्तविक जरूरतें और अवसर उसमें समाहित हों। तकनीकी युग में महिलाओं का सशक्तिकरण उतना ही आवश्यक है जितना शिक्षा या स्वास्थ्य का अधिकार। नई तकनीकें अवसर भी हैं और चुनौतियाँ भी। यदि महिलाएँ डिजिटल कौशल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और उद्यमिता में प्रशिक्षित हों, तो वे आने वाली अर्थव्यवस्था की अग्रिम पंक्ति में खड़ी होंगी। महिला सशक्तिकरण का अर्थ केवल संवेदनशीलता नहीं, बल्कि नीति और प्रणाली में गहरी संरचनात्मक भागीदारी है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैं तो परिवार ही नहीं, पूरा समाज और राष्ट्र आगे बढ़ता है। मैं स्वयं राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहते हुए अनुभव करती हूँ कि महिला प्रतिनिधित्व केवल संख्या का खेल नहीं है। यह समाज की सोच और दृष्टिकोण में परिवर्तन का प्रतीक है। महिला नेतृत्व नई संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही लेकर आता है। आज आवश्यकता है कि हम नारेबाज़ी से आगे बढ़ें और महिला सशक्तिकरण को राष्ट्रीय विकास की केंद्रीय धारा में शामिल करें। यह केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की (लेखिका – श्रीमती छाया मोरे, विधायक पंधाना (म.प्र.), सदस्य – महिला एवं बाल विकास समिति हैं)