*नमो भारत दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर–अब लगभग पूरी तरह तैयार है और उद्घाटन की प्रतीक्षा में है। *नमो भारत दिल्ली–मेरठ कॉरिडोर भारत के बुनियादी ढाँचे के विकास में एक मील का पत्थर है।यह दर्शाता है कि भारत अब विश्वस्तरीय,तेज और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की ओर तेजी से बढ़ रहा है।प्रधान मंत्री का “नये भारत” का विज़न इस परियोजना में मूर्त रूप लेता है।* भारत आज जिस गति से आगे बढ़ रहा है,उसका सबसे स्पष्ट प्रमाण हमें देश के बुनियादी ढांचे में हो रहे बदलावों में देखने को मिलता है। सड़कें, पुल, मेट्रो, हवाई अड्डे और अब रैपिड रेल–ये सब मिलकर “नये भारत” की तस्वीर गढ़ रहे हैं। इसी कड़ी में एक ऐतिहासिक परियोजना –नमो भारत दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिटसिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर–अब लगभग पूरी तरह तैयार है और उद्घाटन की प्रतीक्षा में है। यह परियोजना केवल एक परिवहन सुविधा नहीं है,बल्कि भारत की बदलती सोच,आधुनिकता की दिशा में उठाए गए ठोस कदम और भविष्य की सतत विकास दृष्टि का प्रतीक है। दिल्ली–मेरठ की दूरी,अब मिनटों में दिल्ली और मेरठ के बीच लगभग 82 किलोमीटर का यह कॉरिडोर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) द्वारा विकसित किया गया है।इसे पूरी तरह आधुनिक तकनीक से बनाया गया है।इस रैपिड रेल की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी अधिकतम परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा। जहाँ सड़क मार्ग से यह यात्रा 2 से 2.5 घंटे में पूरी होती थी, वहीं अब यह दूरी केवल 55 से 60 मिनट में पूरी हो जाएगी।यह समय बचत दिल्ली–एनसीआर के लाखों यात्रियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली है। कॉरिडोर का लगभग 55 किलो मीटर लंबा हिस्सा पहले ही चालू कर दिया गया है। यह हिस्सा दिल्ली के न्यू अशोक नगर स्टेशन से शुरू होकर मेरठ की सीमा पर स्थित मेरठ साउथ स्टेशन तक जाता है। शेष 27 किलोमीटर का हिस्सा–जिसमें दिल्ली में न्यू अशोक नगर से सराय खान तक और मेरठ में मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक का खंड शामिल है–उद्घाटन के लिए पूरी तरह तैयार है। एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल के अनुसार यह अंतिम खंड भी बहुत जल्द जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इस परियोजना में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। यह निवेश केवल पटरियाँ बिछाने तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम,विद्युत आपूर्ति, अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष, यात्री सुविधाएँ, सुरक्षा इंतजाम और पर्यावरण-अनुकूल डिजाइन शामिल हैं। ट्रेन के डिब्बों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है।इनमें वातानुकूलन, आराम दायक सीटें, डिजिटल सूचना डिस्प्ले, सीसीटीवी निगरानी ,आपातकालीन बटन और दिव्यांगजन के लिए विशेष व्यवस्था मौजूद है। विगत जून माह में पूरे कॉरिडोर पर सफल ट्रायल रन किए गए।इन ट्रायल्स में निम्न पहलुओं की गहन जांच की गई: -गति और ब्रेकिंग सिस्टम, मोड़ पर स्थिरता आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता सिग्नलिंग और कंट्रोल सिस्टम,यात्रियों की सुविधा और सुरक्षाइन सभी परीक्षणों के सफल होने के बाद यह प्रणाली वाणिज्यिक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार मानी गई।इस परियोजना के शुरू होने से यात्रियों को होने वाले निम्न लाभ मिलेंगे। 1)समय की बचत -जहां पहले दिल्ली से मेरठ तक यात्रा में औसतन 2–2.5 घंटे लगते थे, अब यह यात्रा 55–60 मिनट में पूरी होगी। यह बचा हुआ समय लोग अपने काम,परिवार या विश्राम के लिए उपयोग कर सकेंगे। 2) धन की बचत -कार या बाइक से रोज़ सफर करने वालों का ईंधन खर्च घटेगा।वाहन की मरम्मत और रखरखाव की लागत भी कम होगी। 3) जाम से मुक्ति -अनुमान है कि इस परियोजना के पूरी तरह चालू होने के बाद प्रतिदिन एक लाख से अधिक कारें सड़क से हट जाएंगी, जिससे दिल्ली–एनसीआर में जाम की समस्या में उल्लेखनीय कमी आएगी। 4)प्रदूषण पर नियंत्रण-वाहनों की संख्या घटने से वायु प्रदूषण में गिरावट आएगी।यह दिल्ली–एनसीआर के लिए एक बड़ी राहत होगी जो विश्व के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में गिना जाता है। 5) सुरक्षित और आरामदायक यात्रा वातानुकूलित डिब्बों,समय पर चलने वाली ट्रेन और उन्नत सुरक्षा इंतजामों के कारण यात्रा ज्यादा सुविधाजनक और भरोसेमंद होगी। सामाजिक और आर्थिक प्रभाव व्यापारिक अवसरों में वृद्धि –दिल्ली और मेरठ के बीच माल और सेवाओं का आदान-प्रदान तेज होगा। रियल एस्टेट में उछाल–मेरठ और आसपास के कस्बों में आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों की मांग बढ़ेगी।रोजगार और शिक्षा में लाभ–मेरठ,गाजियाबाद जैसे शहरों के लोग दिल्ली में आसानी से काम और पढ़ाई के लिए आ-जा सकेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच–दिल्ली के बड़े अस्पतालों तक पहुँचना आसान होगा,जिससे आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएँ समय पर मिल सकेंगी। जनसंख्या का संतुलन–लोग दिल्ली से बाहर बसने के लिए प्रेरित होंगे,जिससे दिल्ली पर दबाव कम होगा। पर्यावरण के लिए वरदान-बिजली से चलने वाली यह रैपिड रेल ऊर्जा दक्ष है। यह एक बार में बड़ी संख्या में यात्रियों को कम ऊर्जा में परिवहन कर सकती है।इससे कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी और वायु गुणवत्ता सुधरेगी। नमो भारत दिल्ली–मेरठ कॉरिडोर भारत के बुनियादी ढाँचे के विकास में एक मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि भारत अब विश्वस्तरीय, तेज और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री का “नये भारत” का विज़न इस परियोजना में मूर्त रूप लेता है।एनसीआरटीसी भविष्य में दिल्ली–अलवर और दिल्ली– पानीपत कॉरिडोर पर भी काम कर रहा है।इनके पूरा होने पर पूरा एनसीआर एक एकीकृत तेज रफ्तार रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा। इतनी बड़ी परियोजना में स्वाभाविक रूप से कई चुनौतियाँ आईं, जैसे, भूमि अधिग्रहण के दौरान स्थानीय विरोध, कोरोना महामारी के कारण निर्माण कार्य में देरी आदि।परियोजना में कई तकनीकी और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी बाधाएँ थी,लेकिन एनसीआर टी सी ने इन सभी चुनौतियों का सफल समाधान किया और परियोजना को समय पर लगभग पूरा कर लिया।नमो भारत दिल्ली–मेरठ कॉरिडोर केवल एक रैपिड रेल लाइन नहीं है,यह भारत की प्रगति, उसकी सोच और उसके भविष्य का प्रतीक है। यह लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला प्रोजेक्ट है। जब यह कॉरिडोर पूरी तरह चालू होगा,तो हम देखेंगे कि कैसे एक आधुनिक, तेज और सुरक्षित परिवहन प्रणाली केवल यात्रा ही नहीं,बल्कि पूरा सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य बदल सकती है। (नोट :- लेखक स्वतंत्र पत्रकार व स्तम्भकार है।) ईएमएस / 13 सितम्बर 25