लेख
14-Sep-2025
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(इंजीनियर्स डे 15 सितंबर 25 पर विशेष) भारत में इंजीनियर्स डे हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है इसे अभियंता दिवस भी कहते हैं. इस दिन देश में जगह-जगह कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है. यह दिन भारत रत्न से सम्मानित महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर समर्पित है. भारत हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे मनाता है. यह दिन भारत रत्न से सम्मानित महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर समर्पित है. उन्होंने सिंचाई, बांध, बुनियादी ढांचे और आर्थिक योजनाओं में अद्भुत योगदान दिया. यही वजह है कि यह दिन भारत के साथ-साथ श्रीलंका और तंजानिया में भी मनाया जाता है. इस दिन देश में जगह-जगह कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता हैसर एम विश्वेश्वरैया का जन्म: 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में हुआ था और वह बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई तकनीक के विशेषज्ञ माने जाते थे. उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. भारत सरकार ने उन्हें 1955 में भारत रत्न और ब्रिटिश सरकार ने Knighthood Award से सम्मानित किया. उनकी जयंती को 1967 से राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे के रूप में मनाना शुरू किया गया.भारत में इंजीनियर्स दिवस की शुरुआत 1968 में हुई थी, जब भारत सरकार ने सर एम. विश्वेश्वरैया के उल्लेखनीय जीवन और उपलब्धियों के स्मरणोत्सव के लिए 15 सितंबर को एक दिन के रूप में घोषित किया था। 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मुद्देनहल्ली में जन्मे सर विश्वेश्वरैया को भारतीय इंजीनियरिंग के जनक के रूप में दुनिया भर में पहचान मिली। उनके नवाचारों—जैसे पेटेंट प्राप्त स्वचालित फ्लडगेट और कृष्णराज सागर बांध का डिज़ाइन—ने भारत के बुनियादी ढाँचे और जल प्रबंधन प्रणालियों को बदल दिया। 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने लोक निर्माण, शिक्षा और औद्योगीकरण में योगदान दिया। यह वार्षिक उत्सव न केवल उनकी विरासत का सम्मान करता है, बल्कि देश के विकास में इंजीनियरिंग पेशे के महत्वपूर्ण महत्व को भी उजागर करता है।अपनी प्रारंभिक पढ़ाई चिक्काबल्लापुर में करने के बाद वे बैंगलोर चले गए। 1881 में बैंगलोर से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद वे बॉम्बे प्रेसीडेंसी के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) से जुड़े। मशहूर है ट्रेन का दिलचस्प किस्सा उनके जीवन से जुड़ा एक प्रसंग बेहद मशहूर है। एक बार ट्रेन से सफर के दौरान अंग्रेज यात्री एक भारतीय का मजाक उड़ा रहे थे। तभी उस भारतीय ने अचानक ट्रेन की चेन खींच दी। सभी नाराज हो गए, लेकिन उसने कहा कि पटरियों में गड़बड़ी है। जांच हुई तो सचमुच कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई मिली। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि सर एम. विश्वेश्वरैया ही थे। इंजीनियर्स दिवस 2025 का मुख्य विषय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग निकायों द्वारा इस दिवस के करीब घोषित किया जाएगा। परंपरागत रूप से, हर साल की थीम इंजीनियरिंग क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों और आकांक्षाओं को संबोधित करती है—उदाहरण के लिए, एक सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग या एक बेहतर भारत के लिए इंजीनियर। 2025 की थीम इंजीनियरिंग में स्थिरता, डिजिटल नवाचार और युवा नेतृत्व पर केंद्रित होने की उम्मीद है, जो इंजीनियरों और छात्रों को भारत के तकनीकी विकास और सामाजिक परिवर्तन की अगली लहर का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। सर एम. विश्वेश्वरैया की प्रतिमाओं और स्मारकों पर श्रद्धांजलि समारोह और पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी इंजीनियरिंग कॉलेजों और व्यावसायिक संस्थानों द्वारा आयोजित सेमिनार, व्याख्यान और वेबिनार सर विश्वेश्वरैया के योगदान पर केंद्रित स्कूल और कॉलेज स्तर की निबंध, प्रश्नोत्तरी और पोस्टर प्रतियोगिताएँ से शिक्षा, तकनीकी नवाचार और नैतिक इंजीनियरिंग को बढ़ावा देने वाले सरकारी और गैर-लाभकारी अभियान को बढ़ावा मिलता है . विश्वेश्वरैया इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर उन्ही के नाम पर एक अच्छा एनआईटी कॉलेज है इंजीनियर्स डे है के दिन डिजिटल पोस्टर शेयरिंग के साथ सोशल मीडिया जागरूकता इंजीनियरिंग की सामाजिक भूमिका पर विचार करते हुए लेख, विशेष फीचर और भाषणों का प्रकाशन प्रेरक उद्धरण और नारे लगाए जाते हैं एम. ​​विश्वेश्वरैया ने कहा था याद रखें, आपका काम सिर्फ़ रेलवे क्रॉसिंग की सफाई करना हो सकता है, लेकिन यह आपका कर्तव्य है कि आप इसे इतना साफ़ रखें कि दुनिया का कोई भी दूसरा क्रॉसिंग आपके क्रॉसिंग जितना साफ़ न रहे। उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियर राष्ट्र के सपनों के निर्माता होते हैं। सच्ची सेवा देने के लिए, आपको कुछ ऐसा जोड़ना होगा जिसे पैसे से खरीदा या मापा न जा सके—ईमानदारी और निष्ठा। बड़े सपने देखें। कड़ी मेहनत करें। भविष्य का निर्माण करें। सर एम. विश्वेश्वरैया की विरासत प्रगति और नवाचार का खाका तैयार किया । इंजीनियर्स दिवस हमें याद दिलाता है कि दूरदर्शिता और कर्म से दुनिया बदल सकती है। इंजीनियर्स डे हमें यह याद दिलाता है कि एक इंजीनियर केवल मशीनों और प्रोजेक्ट्स का निर्माता ही नहीं, बल्कि देश की प्रगति का आधार भी है. आज के समय में चाहे टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यावरण या स्पेस रिसर्च हो, हर क्षेत्र में इंजीनियरों की अहम भूमिका है। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 15 ‎सितम्बर /2025