बिहार चुनाव में मांग रहे 15-20 सीटे पटना,(ईएमएस)। बिहार में एनडीए के सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी द्वारा 15-20 सीटों की मांग पर दबाव बनाने के पीछे कई कारण हैं। मांझी ने खुद ही कहा है कि उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिलाना उनका मुख्य लक्ष्य है। कम से कम 4 राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हो। या लोकसभा चुनाव में कुल वैध वोटों का 6 प्रतिशत हासिल करे और करीब 4 लोकसभा सीटें जीते। या कम से कम 3 राज्यों में लोकसभा की 2 प्रतिशत सीटें (करीब 11 सीटें) जीते। मांझी ने कहा है कि उनकी पार्टी हर विधानसभा सीट पर 10-15 हजार वोट रखती है, जिससे कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल किया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब उन्हें 50-100 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिले। एनडीए में रहते हुए इतनी सीटें मिलना करीब असंभव है। इसलिए, वह एनडीए पर 15-20 सीटें देने का दबाव बना रहे हैं, ताकि उनकी पार्टी कम से कम 8-9 सीटें जीतकर राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल कर सके। पिछले चुनाव (2020) में जब जीतन राम मांझी एनडीए में थे, तब चिराग पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम एनडीए का हिस्सा नहीं थीं। उस समय, मांझी की पार्टी को 7 सीटें मिली थीं और उन्होंने 4 पर जीत हासिल की थी। अब, इन दोनों दलों के भी एनडीए में शामिल होने से सीटों का बंटवारा और अधिक जटिल हो गया है। मांझी को पता है कि इन परिस्थितियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना मुश्किल होगा, इसलिए वह पहले से ही दबाव बनाना शुरू कर चुके हैं। वह 7 सीटों के बजाय 15-20 सीटों की मांग करके अपनी बारगेनिंग पावर को बढ़ाना चाहते हैं। आशीष दुबे / 14 सिंतबर 2025