- अफसर–ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों की लूट, जनता में भारी आक्रोश सिंगरौली (ईएमएस)। जिले का जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) फंड अफसरों और ठेकेदारों की लूट का जरिया बन चुका है। शिक्षा और विकास के नाम पर करोड़ों की राशि बंदरबांट कर डकार ली गई, वहीं नियम–कायदों को खुलेआम ठेंगा दिखाया गया। अब मामले में ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त की जांच शुरू होने से अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। *गोलियों की खरीद — 97 लाख का खेल* डीएमएफ फंड से 97 लाख रूपये की गोलियों की खरीद सीधे-सीधे अफसर–ठेकेदार की मिलीभगत का खेल माना जा रहा है। खरीद प्रक्रिया में न पारदर्शिता रही, न ही नियमों का पालन। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त दोनों की जांच इस गड़बड़ी की पुष्टि करती दिख रही है। *वर्चुअल लैब — 5 करोड़ का घोटाला* शिक्षा सुधार के नाम पर 5 करोड़ रूपये की राशि वर्चुअल लैब के लिए आवंटित की गई। लेकिन जमीनी हकीकत में लैब का नामोनिशान तक नहीं। करोड़ों रुपये कहां गए? कौन खा गया? इसका जवाब देने से अधिकारी बच रहे हैं। यह प्रकरण भी अब दोनों जांच एजेंसियों के शिकंजे में है। *विद्युत मरम्मत — 9545 कार्य, 3 करोड़ की लूट* 3 करोड़ रूपये खर्च कर 9545 विद्युत मरम्मत कार्य का दावा महज़ कागज़ों पर ही रह गया। *टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह दरकिनार* कोटेशन : प्राचार्यों से जबरन स्कूल प्रबंधन विकास समिति (एसएमडीसी) के माध्यम से खरीदी के हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। *कार्यवाही पंजी : बैकडेट में* कार्यवाही विवरण लिखवाए जा रहे हैं ताकि जांच एजेंसियों से बचा जा सके। *नियमों की धज्जियां उड़ाईं* * 10,000 रूपये से ऊपर की खरीद पर कोटेशन अनिवार्य* 2 लाख रूपये से ऊपर की खरीद पर जेम पोर्टल टेंडर और समाचार पत्रों में प्रकाशन जरूरी। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी एस.बी. सिंह ने नियमों को पैरों तले कुचलते हुए सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। *सूत्रों से मिली जानकारी* सूत्रों का दावा है कि जिला शिक्षा अधिकारी सूर्यभान सिंह द्वारा वह राशि, जो सीधे जिले में संचालित विद्यालयों के प्राचार्यों के बैंक खातों में जानी चाहिए थी, उसे सीधे ठेकेदारों के खातों में भुगतान कर दिया गया। यही नहीं, अब जब मामला उजागर हुआ और जांच एजेंसियों की पकड़ मजबूत होती दिख रही है, तो विद्यालयों के प्राचार्यों से एसएमडीसी (साला विकास समिति) के माध्यम से पुराने दिनांकों से प्रस्ताव तैयार करवाए जा रहे हैं ताकि पूरे प्रकरण को वैध ठहराकर जांच को प्रभावित किया जा सके *जनता का गुस्सा उबाल पर* जनता का कहना है कि डीएमएफ फंड जनता के विकास और शिक्षा के लिए है, लेकिन अफसरों और ठेकेदारों ने इसे अपनी तिजोरी भरने का जरिया बना लिया। जिलेभर में यह चर्चा जोरों पर है कि अगर दोषियों पर तुरंत कार्रवाई न हुई तो जनता आंदोलन करने पर मजबूर होगी। *आगे की कार्रवाई* अब सबकी निगाहें ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं। जनता की साफ मांग है कि *दोषी अफसर–ठेकेदारों को बख्शा न जाए* डीएमएफ फंड की हर एक पाई का हिसाब जनता के सामने आए। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर जेल भेजा जाए। - रिपोर्ट आर एन पाण्डेय ईएमएस / 15 सितम्बर 25