– कलेक्टर व -सीईओ की मिलीभगत पर सवाल सिंगरौली ईएमएस)। ईकोर्ट जबलपुर के माननीय न्यायाधीश ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि “सिंगरौली अब भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है।” यह टिप्पणी अब पूरी तरह सच साबित हो रही है। जिले की धनहरा ग्राम पंचायत इसका ताज़ा उदाहरण है, जहां वर्ष 2022-23 के निर्माण कार्यों में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। *दो जांच, दो सच – भुगतान का राज छुपाया गया* ग्रामीणों की शिकायत पर जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह नागेश ने दो बार जांच कराई। लेकिन दोनों जांच प्रतिवेदन एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत निकले। *एक रिपोर्ट ने भ्रष्टाचार को उजागर किया* *दूसरी रिपोर्ट ने ठेकेदार एजेंसी को क्लीन चिट दे दी* अब जनता पूछ रही है कि आखिर किस रिपोर्ट के आधार पर एजेंसी को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया? अगर एक रिपोर्ट झूठी थी तो उसे बनाने वाले अफसर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? और अगर दोनों सही नहीं हैं तो पूरा प्रशासन झूठ बोल रहा है। *कलेक्टर और सीईओ पर सवाल* जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह नागेश और कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जब पूरे जिले में भ्रष्टाचार की गूंज है, तब कलेक्टर की चुप्पी सीधी मिलीभगत का सबूत मानी जा रही है। *लोग पूछ रहे हैं* *क्या कलेक्टर और सीईओ भ्रष्टाचारियों की ढाल बन चुके है* क्या इनकी मिलीभगत के बिना करोड़ों का घोटाला संभव है* *मुख्यमंत्री की चुप्पी संदिग्ध* इस घोटाले पर अब तक मुख्यमंत्री की चुप्पी भी ग्रामीणों में गुस्से की बड़ी वजह है। जनता कह रही है कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री ही चुप है तो समझ लीजिए कि यह भ्रष्टाचार “ऊपर तक” संरक्षित है। ग्रामीणों का कहना है – “अगर मुख्यमंत्री ईमानदार होते तो अब तक कलेक्टर और सीईओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो चुकी होती।” *आरटीआई की हत्या और सच दबाने का खेल* आरटीआई कार्यकर्ता विनोद दुबे ने इस घोटाले की परतें खोलने की कोशिश की। उन्हें दोनों जांच प्रतिवेदन तो मिले, लेकिन सबसे अहम जानकारी – “किस आधार पर भुगतान हुआ” – छुपा ली गई। उनकी प्रथम अपील की सुनवाई तक दबा दी गई। यह सीधा-सीधा आरटीआई कानून की हत्या है। *ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, आंदोलन की चेतावनी* ग्रामवासियों का आरोप है कि विकास कार्यों के नाम पर उनकी गाढ़ी कमाई से वसूले गए टैक्स की रकम लूटी जा रही है। *हमारे गांव में न तो सड़क बनी, न ही भवन सही खड़ा है, फिर करोड़ों रुपये कहां गए*” “अगर मुख्यमंत्री और कलेक्टर कार्रवाई नहीं करेंगे तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।” ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि वे जल्द ही जिला मुख्यालय घेराव करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो भोपाल तक जाकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। *जनता के सीधे सवाल* जब दो-दो जांच रिपोर्टें आईं, तो आखिर सच कौन सा है? कलेक्टर और सीईओ भ्रष्टाचारियों को क्यों बचा रहे हैं? मुख्यमंत्री अब तक चुप क्यों हैं – क्या उनकी भी मौन सहमति है? क्या प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन मिलकर भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं? स्पष्ट है कि धनहरा पंचायत का यह मामला सिर्फ एक गांव का घोटाला नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम के सड़ चुके ढांचे का सबूत है। अगर सरकार और प्रशासन ने अब भी कार्रवाई नहीं की, तो यह जनता के साथ विश्वासघात और लोकतंत्र की हत्या होगी। ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है – अब की बार सिर्फ शिकायत नहीं होगी, बल्कि बड़ा जनआंदोलन खड़ा होने वाला हैँ। ईएमएस / 15 सितम्बर 25