मॉस्को (ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रुस से दोस्ती खत्म कराने के लिए पूरी ताकत झौंक दी लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। नतीजा ये रहा कि ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, इसके बाद भी रुस से दोस्ती में कोई फर्क नहीं पड़ा। इस रुस से अमेरिका से स्पष्टता दो टूक कह दिया है कि दोस्ती तुड़वाने की कितनी ही कोशिशें हो जाएं लेकिन इसमें कामयाबी मिलने वाली नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ ठोंककर सोच रहे थे कि इससे रूस के साथ दोस्ती टूट जाएगी। लेकिन अब रूसी विदेश मंत्रालय ने टका सा जवाब दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने ट्रंप टैरिफ के बीच मास्को के साथ सहयोग जारी रखने के लिए भारत की तारीफ की। ये भी कहा कि नई दिल्ली के साथ हमारी दोस्ती तोड़ने की हर कोशिश नाकाम होगी। रूसी मंत्रालय ने कहा- हम इस बात का स्वागत करते हैं कि भारत दबाव और धमकियों के बावजूद रूस के साथ मल्टी लैटरल फेंडशिप जारी रखे हुए है, इनता ही नहीं, इसे आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिखा रहा है। सच कहूं तो भारत और रूस के बीच संबंध स्थिरता और आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई भी प्रयास विफल होगा। रूस की यह टिप्पणी उस वक्त आई है, जब अमेरिकी सरकार ने भारतीय प्रोडक्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगा रखा है। इतना ही नहीं, रूस से कच्चा तेल लेने की वजह से 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया है। इसकी वजह से भारतीय प्रोडक्ट पर कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। ट्रम्प ने बार-बार भारत पर रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन पर रूस के घातक हमलों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, जबकि उनके प्रशासन ने मॉस्को पर सीधे कड़े प्रतिबंध लगाने से परहेज किया है। भारत ने टैरिफ को अनुचित और अनुचित बताते हुए इसकी निंदा की है और रूस से अमेरिका और यूरोप की अपनी खरीद की ओर इशारा किया है।ट्रंप के दबाव के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन गए और वहां एससीओ समिट में हिस्सा लिया। यह अमेरिका के लिए साफ मैसेज था कि भारत चीन और रूस से दोस्ती बढ़ा रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय ने इसकी तारीफ की है और कहा कि भारत और रूस की दोस्ती अटूट है। हमारा रिश्ता सिर्फ राष्ट्रीय हितों पर प्रेरित है। दोनों देश न सिर्फ डिफेंस प्रोडक्शन, बल्कि स्पेस, एटामिक एनर्जी, रूसी तेल इन्वेंशन समेत कई क्षेत्रों में है। इस बीच, ट्रंप ने हाल ही में स्वीकार किया कि रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर भारी शुल्क लगाने के उनके फैसले से भारत के साथ संबंधों में तनाव आया है, हालांकि उन्होंने चल रही व्यापार वार्ताओं को लेकर आशावादी रुख अपनाया। वीरेंद्र/ईएमएस 16 सितंबर 2025