कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिला के लेमरू एलीफेंट रिजर्व में शामिल तीन जिले के चार वन मंडल में हाथी मानव संघर्ष कम करने पंचवर्षीय कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत 109 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। निगरानी सिस्टम को मजबूत करने सोलर डेटोरेंट सिस्टम टावर लगेगा। इसकी मदद से हाथी के 200 मीटर की दूरी पर आते ही मोबाइल पर घंटी बजने लगेगी। लोगों को ऑटोमेटिक कॉल आने से वे सतर्क हो पाएंगे। एलिफेंट रिजर्व बने चार साल हो गए हैं। 2021 में राज्य शासन ने अधिसूचना जारी की थी। इसमें कोरबा, कटघोरा, सरगुजा और धरमजयगढ़ वन मंडल के 11 रेंज शामिल किए गए हैं। इसमें केंदई, एतमानगर, उदयपुर, लखनपुर, कुदमुरा, पसरखेत, बोरो, कापू, बालको और धरमजयगढ़ लेमरु शामिल हैं। इसका क्षेत्रफल 1995.48 वर्ग किमी है। सबसे अधिक चार रेंज लेमरू, बालको, पसरखेत और कुदमुरा कोरबा वन मंडल के हैं। चारों वनमंडल के लिए ही पंचवर्षीय कार्ययोजना तैयार की गई है। हर साल अलग-अलग योजनाओं पर काम किया जाएगा। सबसे बड़ी समस्या निगरानी की होती है। * केंदई रेंज के ग्राम सखोदा में सबसे पहले होगा ट्रायल लोगों को समय पर हाथियों के आने की सूचना देने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्रों में सजग एप पहले से ही चल रहे हैं। हाथियों के ग्राम किनारे आते ही सायरन बजने लगता है। अब इससे आगे सोलर डेटॉरेंट सिस्टम टावर लगाने की योजना है। केंदई रेंज के ग्राम सखोदा में पहले ट्रायल होगा। इससे हाथी निगरानी से जुड़े लोगों और ग्रामीणों के मोबाइल पर ऑटोमेटिक कॉल भी आएगा, जिस तरह कंपनियों के कॉल आते हैं। इसी तरह यह भी काम करेगा। इसी तरह ग्राम में सोलर हैंगिंग फेंसिंग लगाए जाएंगे। थर्मल ड्रोन की और खरीदी भी होगी। * एलीफेंट रिजर्व के लिए नहीं मिला अलग से सेटअप लेमरू एलिफेंट रिजर्व के लिए अभी तक अलग से सेटअप नहीं मिला है। इसकी वजह से वन मंडल के अधिकारी कर्मचारियों के भरोसे ही ह्याथियों की निगरानी हो रही है। हाथियों की संख्या भी 10 गुना गुना से अधिक बढ़ चुकी है। जंगल के साथ ही अब हाथियों की सुरक्षा भी करनी पड़ रही है। * 25 वर्ष में बढ़ा दायरा, रिजर्व में 200 से भी अधिक हाथी जिले में हाथियों को आए 25 साल हो गए हैं। पहली बार कुदमुरा में सितंबर 2000 में 20 हाथी आए थे। दायरा कोरबा, कटघोरा के सभी रेंज हो गए हैं। यहां 50 हाथी हमेशा रहते हैं। सरगुजा और धरमजयगढ़ के हाथी मिलाकर संख्या 70-80 तक पहुंच जाती हैं, तो रिजर्व में 200 से अधिक हाथी घूमते रहते हैं। * अब तक 115 ग्रामीण और 25 हाथियों की हुई हैं मृत्यु जानकारी के अनुसार कोरबा वन मंडल में 25 साल के भीतर हाथियों के हमले से 68 लोगों की जान जा चुकी है। कटघोरा वन मंडल में 47 लोग हमले का शिकार हुए हैं। हालांकि पिछले 5 वर्षों में ऐसी घटनाएं कम हुई हैं। इसका प्रमुख कारण ग्रामीणों की जागरूकता है। साथ ही अलग-अलग कारणों से 25 हाथियों की मौत हो चुकी है। * कार्य योजना तैयार, मंजूरी के लिए भेजेंगे प्रस्ताव इस मामले में कटघोरा डीएफओ व लेमरू एलिफेंट रिजर्व के नोडल अधिकारी कुमार निशांत का कहना है कि पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार कर ली गई है। मंजूरी के लिए शीघ्र ही राज्य शासन को भेजा जाएगा। इसमें के साथ ही प्रभावित क्षेत्र के विकास निगरानी सिस्टम को मजबूत करने कार्यों को भी शामिल किया गया है। # प्रभावित क्षेत्रों में इन कार्यो पर दिया जा रहा अधिक ध्यान * ग्रास लैंड का निर्माण ताकि हाथी जंगल से बाहर ना आएं * सोलर हैंगिंग फेंसिंग से हाथी ग्रामो में न घुसे * सजग एप को सोलर से जोड़कर इसका विस्तार * सोलर डिटोरेंट सिस्टम से मोबाइल पर सूचना * वॉच टावर का निर्माण * इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत सड़क, चबूतरा, भवनों का निर्माण * कर्मचारियों के क्षमता विकास के लिए ट्रेनिंग * थर्मल ड्रोन कैमरे से निगरानी 17 सितंबर / मित्तल