अंतर्राष्ट्रीय
18-Sep-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। हाल ही में वैज्ञानिकों ने रहस्यमयी खगोलीय पिंड की खोज की है, जो दशकों से धरती और उसके उपग्रह चंद्रमा के बीच छिपा हुआ था। यह ऐस्ट्रॉयड संभवतः कई दशकों से हमारी धरती के बेहद नजदीक मौजूद था, लेकिन आधुनिक तकनीक और स्पेस एक्सप्लोरेशन के बावजूद अब तक इसकी पहचान नहीं हो पाई। इस पिंड को फिलहाल “अर्ध-चंद्रमा” की श्रेणी में रखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पिंड धरती का चक्कर लगाता हुआ प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। इसमें स्पेन की राजधानी मैड्रिड के कॉम्प्लूटेंस विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिक कार्लोस डे ला फूएंते मार्कोस और राउल डे ला फूएंते मार्कोस ने बताया कि इस अर्ध-चंद्रमा का आकार महज 62 फीट यानी लगभग 19 मीटर है। यह आकार 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क में फटे उल्कापिंड से भी छोटा है। आकार छोटा होने और इसकी रोशनी बेहद मंद होने के कारण अब तक इस पर किसी की नजर नहीं पड़ी। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अर्ध-चंद्रमा, जिसे अभी तक औपचारिक नाम नहीं दिया गया है, धरती के स्थायी चंद्रमा की तरह व्यवहार करता है। हालांकि यह धरती का प्राकृतिक उपग्रह नहीं है। फिलहाल इसे 2025 पीएन7 नामक एक अन्य ऐस्ट्रॉयड से जोड़कर देखा जा रहा है। अनुमान है कि यह पृथ्वी के आसपास मौजूद सात ज्ञात अर्ध-चंद्रमाओं में से एक और नया सदस्य हो सकता है। इस खोज ने खगोल विज्ञान की दुनिया में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रकार के खगोलीय पिंडों का अध्ययन भविष्य में जीवन की तलाश और अंतरिक्ष अनुसंधान में अहम भूमिका निभा सकता है। मार्कोस ने बताया कि छोटे और धुंधले होने की वजह से ऐसे पिंड आसानी से नजरों से बच जाते हैं, लेकिन उन्नत दूरबीनों और आधुनिक तकनीक से अब इन्हें ट्रैक करना संभव हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी और भी अर्ध-चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक छिपे हो सकते हैं, जिन्हें समय-समय पर खोजा जाएगा। सुदामा/ईएमएस 18 सितंबर 2025