राज्य
18-Sep-2025


- लापता बच्चों की जाँच में अभिभावकों को विश्वास में लें- पुलिस आयुक्त - कानून के अनुसार कार्रवाई करें, जन आंदोलन की माँग सफल उल्हासनगर, (ईएमएस)। “अगर पुलिस लापता बच्चों के अभिभावकों के साथ असंवेदनशील व्यवहार करती है, तो अब सीधी कार्रवाई की जाएगी। आंदोलन कारियों के दबाव के बाद, ठाणे जिला के पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे ने सख्त आदेश जारी किए हैं और सभी थाना अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि ऐसे मामलों में समय-समय पर अभिभावकों को जाँच की जानकारी दें, उन्हें राहत प्रदान करें और संवेदनशील बातचीत करें।” यह ज़ोर देकर कहा गया है कि पुलिस को अब ठाणे पुलिस आयुक्तालय की सीमा में लापता या गुम हुए बच्चों के मामलों को न केवल कानूनी ढाँचे से, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी देखना होगा। इसी के तहत, ठाणे पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे ने सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को नए आदेश जारी किए हैं। इस आदेश के अनुसार, गुमशुदा बच्चों के माता-पिता या रिश्तेदारों को समय-समय पर जाँच की प्रगति से अवगत कराया जाए, उनके साथ आश्वस्त करने वाली बातचीत करके उन्हें मानसिक रूप से सांत्वना दी जाए और संपूर्ण संवाद संवेदनशील व पारदर्शी हो। साथ ही, यह भी सख्त चेतावनी दी गई है कि यदि संबंधित अधिकारी विपरीत व्यवहार करेंगे तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश सामाजिक संगठन वागा लोक चलवल के संस्थापक व अध्यक्ष राज असरोंडकर और कल्याण विकासिनी संगठन के अध्यक्ष एडवोकेट उदय रसाल के निरंतर प्रयासों से आया है। 9 सितंबर को इन संगठनों ने पुलिस आयुक्त को ईमेल के माध्यम से एक ज्ञापन भेजकर आरोप लगाया था कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। साथ ही, 16 सितंबर को ठाणे पुलिस आयुक्तालय के सामने धरना देने की चेतावनी दी गई थी। इस धरना प्रदर्शन को श्रमिक जनता संघ, राष्ट्रीय जन आंदोलन समन्वय, भारतीय महिला संघ, समता विचार प्रसारक संस्था, राज्य सरकार कर्मचारी संघ और बहुजन विकास संघ जैसे कई संगठनों का समर्थन प्राप्त था। पिछले सप्ताह, प्रदर्शनकारियों के नेता राज असरोंडकर और एडवोकेट उदय रसाल ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय जाधव, उल्हासनगर परिमंडल- 4 के पुलिस उपायुक्त सचिन गोरे, कल्याण परिमंडल- 3 के पुलिस उपायुक्त अतुल ज़ेंडे, सहायक पुलिस आयुक्त कल्याणजी घेटे और महात्मा फुले पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक बलराम सिंह परदेशी के साथ कई बैठकें कीं और चर्चा में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप था कि पुलिस गुमशुदा बच्चों की जाँच में मूल आरोपियों तक नहीं पहुँच रही है, कुछ गंभीर मामलों में आरोपियों को यह कहकर छोड़ दिया जाता है कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों की भी अनदेखी की जाती है। अंततः सोमवार देर शाम एक निर्णायक चर्चा के बाद, पुलिस आयुक्त ने एक नया परिपत्र जारी किया। इसके चलते प्रदर्शनकारियों ने 16 सितंबर को होने वाले एक दिवसीय धरने को स्थगित करने का फैसला किया। हालाँकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कुछ माँगें अभी भी लंबित हैं, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन की जाँच करके रिपोर्ट सार्वजनिक करना और ठाणे पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में सभी लापता बच्चों और व्यक्तियों की तलाश के लिए विशेष छापेमारी अभियान चलाना। संगठनों ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर भविष्य में ये माँगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन का रास्ता खुला रखा जाएगा। - लापता बच्चों के माता-पिता के अधिकारों का मानवता का भी है- राज असरोंडकर वागा लोक चलवल के संस्थापक व अध्यक्ष राज असरोंडकर कहते हैं कि “लापता बच्चों के माता-पिता के अधिकारों का मुद्दा सिर्फ़ क़ानून का नहीं, बल्कि मानवता का भी है। पुलिस द्वारा ऐसे माता-पिता की अनदेखी उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। हमारे लगातार आंदोलन के बाद, आज ठाणे पुलिस आयुक्त द्वारा जारी किया गया आदेश हमारे संघर्ष का पहला कदम है। हालाँकि, यह ज़रूरी है कि यह सर्कुलर सिर्फ़ जारी ही न हो, बल्कि इसका सख़्ती से पालन भी हो। हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक हर खोया हुआ बच्चा, हर लापता व्यक्ति सुरक्षित न मिल जाए।” संतोष झा- १८ सितंबर/२०२५/ईएमएस