राष्ट्रीय
01-Oct-2025
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-जावेद अख्तर और बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा के बीच संस्कृति को लेकर बहस नई दिल्ली,(ईएमएस)। बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन और मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के बीच ‘एक्स’ पर संस्कृति को लेकर बहस छिड़ गई। तस्लीमा ने दुर्गा पूजा पंडाल की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा- हम बंगाली, चाहे हमने इतिहास में कोई भी धर्म या दर्शन क्यों न अपनाया हो, हमारी राष्ट्रीय पहचान भारत से जुड़ी है। हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई और नास्तिक सभी के पूर्वज भारतीय हिंदू ही थे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मुसलमानों की संस्कृति अरब से नहीं, बल्कि हिंदू परंपरा में निहित बांग्ला संस्कृति से जुड़ी है। इस पर मशहूर राईटर जावेद अख़्तर ने गंगा-जमुनी अवध संस्कृति का हवाला दिया और लिखा- हम अवध के लोग बंगाली संस्कृति, भाषा और साहित्य का सम्मान करते हैं, लेकिन यदि कोई गंगा-जमुनी अवध संस्कृति की महानता और परिष्कार को समझने और मान देने में असमर्थ है तो यह उसकी कमी है। तस्लीमा के मुसलमानों की संस्कृति अरब से जुड़ी है वाले तर्क पर जावेद अख्तर ने कहा कि इस संस्कृति का अरब से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि फारसी और मध्य एशियाई संस्कृति का प्रभाव जरूर पड़ा है, लेकिन हमारी शर्तों पर। उन्होंने यह भी कहा कि वैसे कई बंगाली उपनाम फारसी मूल के हैं। जावेद अख्तर ने एक और पोस्ट में लिखा- क्या आप यह कहना चाहती हैं कि गुजराती हिंदुओं और तमिल हिंदुओं की संस्कृति एक जैसी है? या लखनऊ के मुसलमान और कोंकण के मुसलमानों की संस्कृति समान है? या फिर पूर्वोत्तर भारत के ईसाई और फ्रांस के ईसाई की संस्कृति एक जैसी है? संस्कृति और भाषाएं धर्म से नहीं, बल्कि क्षेत्रों से जुड़ी होती हैं। सिराज/ईएमएस 01अक्टूबर25