जेनेवा,(ईएमएस)। देश के कई राज्यों में जहरीले कफ सिरप के कारण करीब दो दर्जन बच्चों की जान चली गई। इन मौतों के चलते कोल्ड्रिफ नामक इस सिरप को लेकर डब्ल्यूएचओ की चिंता बढ़ी है। आशंका इस बात की है कि ये सिरप किसी अन्य देशों में सप्लाई हुआ या नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी कि अनियंत्रित चैनलों के जरिए इन प्रोडक्ट्स को दूसरे देशों में निर्यात करने का जोखिम हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की ओर से 1 अक्टूबर को भेजे गए पत्र का केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जवाब दिया है। इसमें पुष्टि की गई कि 3 सिरप दवाओं में घातक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, लेकिन इनमें से कोई भी प्रोडक्ट भारत से निर्यात नहीं किया गया। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने कहा, फिलहाल यह पुष्टि करने का कोई विश्वसनीय तंत्र नहीं है कि प्रोडक्ट्स को अवैध या अनियंत्रित चैनलों से निर्यात किया गया, क्योंकि ऐसे निर्यात आमतौर पर कोई निशान नहीं छोड़ते। यही बात इस जोखिम को चिंताजनक बनाता है। इस बीच, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने कहा कि राज्य ने सितंबर में अपनी रैंडम जांच शुरू की थी और लगभग 300-400 सैंपल्स लिए गए थे। उन्होंने कहा, इनमें से कोई भी नमूना एनएसक्यू (गैर-मानक गुणवत्ता) नहीं पाया गया। संदिग्ध सिरप को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया है। डीईजी और एथिलीन ग्लाइकॉल विषाक्त पदार्थ हैं, जिनका इस्तेमाल औद्योगिक सॉल्वेंट और एंटीफ्रीज एजेंट के रूप में होता है। ये छोटी मात्रा में भी बच्चों के लिए घातक हो सकते हैं। खतरनाक प्रोडक्ट्स की पहचान कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ के तौर पर हुई है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता ने बताया, फिलहाल इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इन उत्पादों को अनियंत्रित चैनलों से निर्यात किया गया, लेकिन इस जोखिम को खारिज नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों को अनियंत्रित बाजारों में टारगेटेड मार्केट निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वीरेंद्र/ईएमएस/13अक्टूबर2025 ------------------------------------