ज़रा हटके
14-Oct-2025
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वेलिंग्टन (ईएमएस)। न्यूजीलैंड के लॉरेंस वाटकिंस दुनिया के सबसे लंबे नाम वाले व्यक्ति के रूप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं। लॉरेंस वाटकिंस का पूरा नाम 2253 अनोखे शब्दों का समूह है। यह रिकॉर्ड मार्च 1990 में रचा गया, जब 24 वर्षीय लॉरेंस ने डीड पोल के जरिए अपना नाम बदल लिया था। अक्टूबर 2025 में गिनीज ने इस रिकॉर्ड को अपडेट किया, जो फिर से सुर्खियों में आ गया। लॉरेंस का जन्म न्यूजीलैंड में लॉरेंस ग्रेगरी वाटकिंस के नाम से हुआ था। 1989 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स पढ़ते हुए उन्हें लगा कि सबसे लंबे नाम का रिकॉर्ड ही वो तोड़ सकते हैं। उस समय न्यूजीलैंड में नाम की लंबाई या टाइटल्स पर कोई पाबंदी नहीं थी। शहर की लाइब्रेरी में काम करते हुए उन्होंने किताबों से नाम चुने और सहकर्मियों से सुझाव लिए। नामों को वर्णमाला क्रम में रखा गया, जो ‘लॉरेंस अलोन अलॉयस अलॉयसियस अल्फेज अलुन अलुरेड अल्विन एलिसैंडर एम्बी एम्ब्रोस’ से शुरू होता है। उनका पसंदीदा नाम एझेड2000 है, जो ए से झेड तक के नामों का प्रतीक है। नाम बदलने की प्रक्रिया में लिस्ट टाइप करवाने पर कुछ सौ डॉलर खर्च हुए, क्योंकि उस जमाने में कंप्यूटर सीमित थे। हालांकि, नाम बदलना इतना आसान नहीं था। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आवेदन मंजूर कर लिया, लेकिन जब लॉरेंस ड्राइवर लाइसेंस अपडेट कराने गए, तो क्लर्क ने विश्वास ही नहीं किया। रजिस्ट्रार जनरल ने इसे ‘फिजूल’ बताकर खारिज कर दिया। लॉरेंस ने हाई कोर्ट में अपील की, जहां जजों ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। इस जीत के बाद न्यूजीलैंड सरकार ने दो कानून बदले- नामों को 70 अक्षरों तक सीमित कर दिया और टाइटल्स जैसे लॉर्ड, ड्यूक, किंग या सेंट को प्रतिबंधित कर दिया। लॉरेंस ने नामों में ऐसे ही टाइटल्स डाले थे ताकि वो ‘अजीब और उकसाने वाला’ बने। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा थोड़ा प्रसिद्ध बनना चाहता था।” इस बदलाव से न्यूजीलैंड में कोई और ऐसा रिकॉर्ड नहीं तोड़ सकता। अब 60 वर्षीय लॉरेंस सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। उनका पूरा नाम इतना लंबा है कि बोलने में करीब 20 मिनट लग जाते हैं। शादी के दौरान सेलिब्रेंट को नाम पढ़ने में 20 मिनट से ज्यादा समय लगा। इसके अलावा सरकारी दस्तावेजों में समस्या आती है। उनके पुराने न्यूजीलैंड पासपोर्ट में 6 अतिरिक्त पेज जोड़े गए थे। जन्म प्रमाण पत्र में भी 6 पेज बढ़ाए गए थे। आईडी फॉर्म नाम समेट ही नहीं पाते, जिससे सरकारी विभागों में परेशानी होती है। फिर भी, लॉरेंस को इस पर गर्व है। वे कहते हैं, “यह 8 अरब लोगों में अनोखी पहचान है।” गिनीज ने 1992 में इसे पहली बार मान्यता दी, तब 2310 नामों के साथ ‘सबसे लंबा क्रिश्चियन नेम’ कैटेगरी में। सुदामा/ईएमएस 14 अक्टूबर 2025