एसडीएम और पुलिस के सामने ग्रामीण व एसईसीएल के अधिकारी भिड़े * ग्रामीणों ने कहा एसडीएम से आप यहां गुंडागर्दी कराने आये हो * भिलाई बाजार में त्रिपक्षीय वार्ता विफल होने के बाद मचा घमासान * भू-विस्थापितों और प्रबंधन के बीच बढ़ रहा तनाव * अधिकारियों के तेवर कर रहे आग में घी डालने का काम कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना अंतर्गत कोयला खदानों को प्रारंभ करने और फिर इसका विस्तार कर उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के लिए एसईसीएल के द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है। इसके अंतर्गत वर्षों पूर्व अर्जित की गई जमीनों के अधिग्रहण का सिलसिला चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 11 साल पहले अर्जित की गई ग्राम गेवरा बस्ती की जमीन का अधिग्रहण हेतु भिलाई बाजार के सरस्वती शिशु मंदिर में त्रिपक्षीय वार्ता रखी गई। प्रशासन की ओर से एसडीएम तन्मय खन्ना उपस्थित रहे। एसईसीएल की तरफ से अधिकारी शिखर सिंह चौहान, नरसिम्हा राव, आशुतोष कुमार तथा ग्राम वासियों की ओर से उनके प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में माटीपुत्र भू-विस्थापित उपस्थित रहे। इस बैठक के दौरान ग्रामीणों ने अपनी जमीन देने से साफ़ इंकार करते हुए पहले लंबित मांगों का निराकरण और सारी स्थिति स्पष्ट करने की बात कही। * वार्ता रही विफल रही, तंज कसने पर मचा बवाल जानकारी के अनुसार उक्त त्रिपक्षीय वार्ता पूरी तरह से विफल हो गई, इसके बाद सभी शिशु मंदिर भवन से बाहर निकलने लगे। इस दौरान ग्रामीण के बीच बातचीत और आपसी कहा-सुनी भी हो रही थी। उसी वक़्त शिखर सिंह चौहान जो गेवरा के अधिकारी हैं, उनके द्वारा वार्ता विफल होने को लेकर कोई तंज कसा गया। जब मौजूद एक ग्रामीण ने उन्हें टिप्पणी करने से मना किया। बताया जा रहा हैं तब अधिकारी के द्वारा सबक सिखाने की बात कहते हुए अपशब्दों का प्रयोग किया गया। इस बात को लेकर कहा-सुनी होने लगी और कहा-सुनी जमकर मारपीट में तब्दील हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष को चोटें आई हैं। ग्रामीण ने इस मामले की रिपोर्ट तत्काल थाना में दर्ज कराया। हरदीबाजार पुलिस ने उक्त अधिकारी के विरुद्ध धारा 296, 115 (2), 351(3) बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। * हरदीबाजार के बाद भिलाईबाजार में हुआ जमकर विरोध इससे पहले हरदीबाजार की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए प्रबंधन के द्वारा त्रिपक्षीय वार्ता रखी गई थी जिसे नहीं करने के संबंध में ग्रामवासियो ने आवेदन एसडीएम को सौंपा। हरदीबाजार में त्रिपक्षीय वार्ता का विरोध के बाद भिलाईबाजार में भी इसका विरोध देखने को मिला। हरदीबाजार के ग्रामीणों ने अपने 7 मांगों का निराकरण होने से पहले किसी भी सूरत में सर्वे आदि नहीं करने की बात कह दी है तो वहीं भिलाई बाजार के लोग भी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं। * पूर्व के कड़वे अनुभव दे रहे सबक आरोप लगाते हुए कहा जा रहा हैं की इससे पहले एसईसीएल की कुसमुंडा व दीपका परियोजना विस्तार के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया गया। वर्षों पूर्व अर्जित की गई जमीनों का अब जाकर अधिग्रहण के मामले में भू-विस्थापितों के द्वारा वर्तमान दर से मुआवजा के साथ-साथ नौकरी और व्यवस्थित बसाहट देने की मांग की जा रही है। प्रबंधन द्वारा अपनी कोयला जरूरत को पूरा करने की मंशा बताते हुए शासन-प्रशासन से सहयोग हासिल कर भू-विस्थापितों का कहीं ना कहीं अहित किया जा रहा है। उन्हें बिना बसाए ही उजाड़ दिया जा रहा है, कोयला चोर बनाया जा रहा है। ग्राम मलगांव, सुआभोडी इसका जीता-जागता उदाहरण है जिसे लेकर जमीनों की हेर-फेर के मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है। हालांकि जांच किस दिशा में जा रही है, सीबीआई अधिकारी क्या कर रहे हैं यह अभी तक किसी को पता नहीं है, मीडिया को भी नहीं। आगे कहा गया की भू-विस्थापित परिवारों द्वारा एसईसीएल को अपनी जमीन, संपत्ति, घर, मकान सबकुछ दे देने के बाद दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। ऐसी पूर्व की घटनाओं, वादा-खिलाफी, मौकापरस्ती से सबक लेते हुए हरदी बाजार और भिलाई बाजार के ग्रामीणों ने अपनी मांग पूरी होने से पहले किसी भी सूरत में जमीन नहीं देने का ऐलान कर दिया है। प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा अपने-अपने हिसाब से बनाए जाने वाले नियम-कायदे और कालांतर में की गई मनमानियों के कारण आज हम परेशान है, वहीं जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के लिए भी एसईसीएल की मनमानियों के कारण दिक्कत खड़ी हो रही है। 14 अक्टूबर / मित्तल