राष्ट्रीय
15-Oct-2025
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-संचार मंत्री वैष्णव ने की तारीफ कहा-लोगों को इसे ट्राई जरुर करना चाहिए नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत का स्वदेशी नेविगेशन ऐप मेप्लस अब गूगल मैप्स को टक्कर दे रहा है। केंद्रीय रेल और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐप की तारीफ करते हुए कहा है कि मेप्लस में कई बेहतरीन फीचर्स हैं, लोगों को इसे जरूर ट्राई करना चाहिए। दरअसल, बहुत कम लोग जानते हैं कि मेपमाइइंडिया, जो मेप्लस की मूल कंपनी है कि शुरुआत गूगल मैप्स से पूरे दस साल पहले यानी 1995 में हो चुकी थी। मेपमाइइंडिया के को-फाउंडर और चेयरमैन राकेश वर्मा और उनकी पत्नी पहले अमेरिका में रहते थे। राकेश जनरल मोटर्स में काम थे, जबकि उनकी पत्नी आईबीएम में काम करती थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 12 साल अमेरिका में रहने के बाद दोनों भारत लौट आए ताकि डिजिटल मैपिंग के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बना सकें। राकेश वर्मा बताते हैं, कि उन्हें 1995 में ही महसूस हुआ कि भविष्य में हर डेटा लोकेशन से जुड़ा होगा। उसी जरूरत को पूरा करने के लिए मेपमाइइंडिया की नींव रखी। गूगल मैप्स की शुरुआत 2004 में ऑस्ट्रेलिया में हुई थी, जिसे बाद में गूगल ने खरीदा और 2005 में लॉन्च किया। वहीं मेपमाइइंडिया 1995 में ही शुरू हो गया था। राकेश कहते हैं कि हमारा डेटा भारत में ही स्टोर होता है और हम किसी भी विज्ञापन या व्यावसायिक उपयोग के लिए यूजर डेटा नहीं बेचते- यही हमें बाकी कंपनियों से अलग बनाता है। मेपमाइइंडिया सिर्फ एक मोबाइल ऐप नहीं, बल्कि कई ऑटोमोबाइल कंपनियों का टेक्नोलॉजी पार्टनर भी है। देश में बिकने वाली करीब 80फीसदी कनेक्टेड कारों में मेपमाइइंडिया का नेविगेशन सिस्टम पहले से इनबिल्ट होता है। उन्होंने कहा कि पहले लावा और माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियां उनके मैप्स का इस्तेमाल करती थीं, लेकिन जब गूगल मैप्स स्मार्टफोन्स में डिफॉल्ट आने लगा, तो यह सहयोग खत्म हो गया। इसके बाद उन्होंने कार कंपनियों से हाथ मिलाया। राकेश का कहना है कि गूगल की मार्केट मोनॉपली मेप्लस के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो पीएलआई स्कीम के तहत स्मार्टफोन कंपनियों को मेप्लस को एक वैकल्पिक ऐप के रूप में देने का निर्देश दे सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में यूजर्स को अपनी पसंद का मैप चुनने का विकल्प मिलना चाहिए, जैसे व्हाट्सएप या अन्य ऐप्स में लोकेशन शेयरिंग में सिर्फ गूगल मैप्स नहीं, बल्कि मेप्लस भी एक विकल्प हो। मेपमाइइंडिया अब अपने नेविगेशन सिस्टम को फीचर फोन्स तक पहुंचाने का काम कर रही है ताकि ग्रामीण और छोटे कस्बों में भी लोग स्वदेशी ऐप का लाभ उठा सकें। राकेश ने बताया कि 2020 में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भारत में मैपिंग नीति को उदार बनाया गया, जिसके बाद 2021 में कंपनी का आईपीओ आया और यह लिस्टेड कंपनी बन गई। उन्होंने कहा कि अब हमें बस बराबरी का मौका चाहिए। अगर उपयोगकर्ताओं को मेप्लस को चुनने की आज़ादी मिले, तो यह दुनिया में भारत का नया डिजिटल ब्रांड बन सकता है। सरकार और टेक समुदाय अब इसे “स्वदेशी डिजिटल आत्मनिर्भरता” की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं। सिराज/ईएमएस 15 अक्टूबर 2025