* वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत गंभीर अपराध, तांत्रिक विधियों और अवैध व्यापार में संलिप्तता के प्रमाण वलसाड (ईएमएस)| वन्य प्राणी के अवशेषों के अवैध व्यापार की गुप्त सूचना के आधार पर वलसाड़ वन विभाग की टीम ने स्वतंत्र पंचों की उपस्थिति में छापेमारी की। इस कार्रवाई के दौरान अजय मांदा पटेल (निवासी — नवेरा, तहसील वलसाड़) के घर की तलाशी में तेंदुए (Leopard, Panthera pardus) का चारों पंजों सहित कटा हुआ चमड़ा बरामद हुआ। यह प्राणी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (संशोधन 2022) की अनुसूची–1 के अंतर्गत संरक्षित है। पूछताछ में अजय पटेल ने स्वीकार किया कि उसने यह चमड़ा सुरेश काशीनाथभाई वंजारा (उम्र 41 वर्ष, निवासी — मालघर, कासदा फलिया, तहसील कपराड़ा, जिला वलसाड़) से व्यापारिक उद्देश्य से खरीदा था। आगे की पूछताछ में सुरेश ने बताया कि उसने यह चमड़ा अपने रिश्तेदार सीताराम वलवी (निवासी — ईहदर फलिया, मालघर गांव) से बिक्री हेतु प्राप्त किया था। तीनों आरोपियों ने मिलकर तेंदुए का अवैध शिकार कर उसके चमड़े का व्यापार करने का अपराध किया है। सुरेश की तलाशी के दौरान उसके थैले से एक पोटली में बंधे पक्षी और जानवरों की हड्डियाँ भी मिलीं। पूछताछ में उसने बताया कि ये हड्डियाँ दुडो (ऊल्लू – टाइटो अल्बा) की हैं, जो कि अनुसूची–1 के अंतर्गत संरक्षित प्रजाति है। इस प्रकार, जांच से स्पष्ट हुआ कि आरोपी वन्यजीवों के शिकार, अवैध बिक्री और तांत्रिक क्रियाओं जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं। वलसाड़ उत्तर वन विभाग ने मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की है। दोनों मुख्य आरोपियों की जमानत याचिकाएँ वलसाड़ अदालत द्वारा खारिज कर दी गई हैं, तथा आगे की जांच जारी है। वलसाड़ उत्तर वन विभाग की ओर से आम जनता से अपील की गई है कि यदि किसी को वन्यजीवों के शिकार, चमड़े की बिक्री, वन उपज के अवैध कटान या परिवहन के बारे में कोई जानकारी हो, तो वह तुरंत निकटतम वन कार्यालय या हेल्पलाइन नंबर 1926 पर सूचना दे। आपकी एक सूचना कई जिंदगियाँ बचा सकती है। सतीश/15 अक्टूबर